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क्या भारत अमेरिका के साथ फिर से वार्ता करेगा? हॉवर्ड लुटनिक का बड़ा बयान

अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने भारत और अमेरिका के रिश्तों पर महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही राष्ट्रपति ट्रंप के साथ बातचीत करेगा। लुटनिक ने भारत की रूस से कच्चे तेल की बढ़ती खरीद और अमेरिका के साथ संबंधों की आवश्यकता पर भी जोर दिया। ट्रंप की चिंताओं के बीच, भारत को अब स्पष्ट रूप से चुनाव करना होगा कि वह किस दिशा में आगे बढ़ना चाहता है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
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क्या भारत अमेरिका के साथ फिर से वार्ता करेगा? हॉवर्ड लुटनिक का बड़ा बयान

भारत और अमेरिका के रिश्ते

भारत-अमेरिका संबंध: अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने शुक्रवार को कहा कि भारत जल्द ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत की मेज पर लौटने वाला है। उन्होंने यह भी बताया कि नई दिल्ली ब्रिक्स समूह में रूस और चीन के बीच एक पुल का काम कर रही है, लेकिन अंततः उसे अमेरिका के साथ समझौते की दिशा में बढ़ना होगा।


भारत की बातचीत की संभावना

भारत बातचीत करेगा

लुटनिक ने एक साक्षात्कार में कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि अगले एक-दो महीने में भारत ट्रंप से बातचीत करेगा और समझौते की कोशिश करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह ट्रंप पर निर्भर करेगा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ किस तरह का व्यवहार करना चाहते हैं।


ट्रंप की चिंताएं

ट्रंप की टिप्पणी के बाद आया बयान

लुटनिक का यह बयान राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा भारत, रूस और चीन के बढ़ते संबंधों पर चिंता जताने के कुछ घंटों बाद आया। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा कि ऐसा लगता है कि अमेरिका ने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। उन्होंने मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की एक पुरानी तस्वीर भी साझा की।


भारत को चुनाव करना होगा

भारत को चुनाव करना होगा

ब्रिक्स गठबंधन पर टिप्पणी करते हुए लुटनिक ने कहा कि भारत को अब स्पष्ट रूप से चुनाव करना होगा। उसे या तो अमेरिका और डॉलर का समर्थन करना होगा, या फिर रूस और चीन के साथ जाना होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भारत अमेरिकी हितों की अनदेखी करता है, तो उसे 50% तक टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है।


अमेरिकी बाजार पर निर्भरता

अमेरिकी बाजार पर निर्भरता

एक सवाल के जवाब में लुटनिक ने कहा कि हम हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत और चीन जैसे देश अंततः अमेरिकी बाजार पर निर्भर हैं। उनके अनुसार, अमेरिका की 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया के लिए उपभोक्ता का काम करती है और हर देश को इस बाजार की ओर लौटना पड़ता है।


रूसी तेल पर निर्भरता

रूसी तेल पर बढ़ती निर्भरता

लुटनिक ने भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की बढ़ती खरीद पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि संघर्ष से पहले भारत रूस से दो प्रतिशत से भी कम तेल लेता था, लेकिन अब यह आंकड़ा 40 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। उन्होंने ट्रंप की उस आलोचना को दोहराया जिसमें कहा गया था कि भारत की यह नीति अमेरिका के हितों के विपरीत है।


दिखावा और वास्तविकता

दिखावा ज्यादा, हकीकत अलग

जब उनसे पूछा गया कि क्या वार्ता में कोई सफलता मिल सकती है, तो लुटनिक ने कहा कि घरेलू दबाव भारत को अंततः समझौते की ओर धकेलेगा। उन्होंने कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री मार्क कार्नी का हवाला देते हुए कहा कि कई बार देशों को लगता है कि दुनिया के सबसे बड़े ग्राहक से टकराना सही है, लेकिन अंततः व्यवसायी वर्ग यही कहता है कि अमेरिका से समझौता करना ही बेहतर है।


भारत का दृष्टिकोण

भारत का दृष्टिकोण

भारत ने इस मुद्दे पर स्पष्ट किया है कि उसकी कच्चे तेल की खरीद ऊर्जा सुरक्षा और बाजार की स्थिति से प्रेरित है। फरवरी 2022 में पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद नई दिल्ली ने रियायती कीमतों पर रूसी तेल आयात बढ़ाया। भारत का मानना है कि यह उसकी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का व्यावहारिक समाधान है, न कि किसी गठबंधन का हिस्सा।