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क्या भारत बनेगा Rare Earth Metals का अगला बड़ा सप्लायर? जानें चीन की नई रणनीति

रेयर अर्थ मेटल्स की वैश्विक आपूर्ति में चीन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे भारत की इलेक्ट्रिक वाहन और तकनीकी उद्योग पर प्रभाव पड़ा है। अप्रैल 2025 से चीन ने भारत को इन मेटल्स की सप्लाई रोक दी है, जिससे उत्पादन में रुकावट आ रही है। भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है, क्योंकि चीन की रणनीति से देश की प्रगति प्रभावित हो सकती है। जानें भारत की संभावनाएं और वैश्विक सप्लायर बनने की दिशा में उठाए जाने वाले कदम।
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क्या भारत बनेगा Rare Earth Metals का अगला बड़ा सप्लायर? जानें चीन की नई रणनीति

रेयर अर्थ मेटल्स की भू-राजनीतिक जंग

दुनिया में तकनीकी और ऊर्जा के भविष्य को प्रभावित करने वाले 'रेयर अर्थ मेटल्स' के लिए एक नई भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। इस प्रतिस्पर्धा में चीन ने प्रमुख भूमिका निभाते हुए इन कीमती धातुओं को एक रणनीतिक साधन के रूप में उपयोग करना शुरू कर दिया है। अप्रैल 2025 से, चीन ने भारत समेत कई देशों को रेयर अर्थ मैग्नेट्स की आपूर्ति रोक दी है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगा है.


चीन का दबदबा और भारत की जरूरत

भारत, अमेरिका और यूरोप जैसे देश अभी भी रेयर अर्थ संसाधनों के लिए चीन पर निर्भर हैं। भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है, क्योंकि यदि चीन ने आपूर्ति को लंबे समय तक रोके रखा, तो भारत की इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग, रक्षा और तकनीकी प्रगति प्रभावित हो सकती है.


सप्लाई रोककर चीन का प्रभाव

चीन ने लंबे समय से रेयर अर्थ मैग्नेट्स को एक भू-राजनीतिक हथियार के रूप में विकसित किया है। अब उसने चुपचाप इनका निर्यात रोक दिया है। ये मैग्नेट्स इलेक्ट्रिक वाहनों, मोबाइल फोन, ऑटो उद्योग और उपग्रहों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.


ईवी उत्पादन में रुकावट

अप्रैल 2025 से चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई रोकने से कई इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं का उत्पादन प्रभावित हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह स्थिति बनी रही, तो देश की ईवी नीति पर गंभीर असर पड़ेगा.


चीन का उत्पादन और वैश्विक स्थिति

US Geological Survey के अनुसार, 2024 में चीन ने 2.7 लाख मीट्रिक टन रेयर अर्थ मेटल्स का उत्पादन किया, जो वैश्विक उत्पादन का 69% है। अमेरिका का योगदान केवल 45,000 टन (11%) और म्यांमार का 31,000 टन (8%) रहा.


चीन का उत्पादन तीन गुना बढ़ा

एक रिपोर्ट के अनुसार, 2014 में चीन का उत्पादन 1.3 लाख टन था, जो 2024 तक बढ़कर 4.94 लाख टन हो गया है। इसका मतलब है कि वैश्विक उत्पादन का 60% से अधिक हिस्सा चीन के पास है.


प्रोसेसिंग में चीन की विशेषज्ञता

चीन केवल खनन में ही नहीं, बल्कि रेयर अर्थ मेटल्स की प्रोसेसिंग और फिनिशिंग में भी माहिर है। अमेरिका, जापान और यूरोप तक चीन की सप्लाई पर निर्भर हैं। चीन द्वारा प्रतिबंध लगाने पर इन देशों की तकनीकी उद्योग प्रभावित होने लगती है.


भारत के पास संभावनाएं

भारत में रेयर अर्थ के खनिज भंडार मौजूद हैं, लेकिन खनन और प्रोसेसिंग की तकनीक और सुविधाओं की कमी है। सरकार ने हाल ही में कुछ निजी कंपनियों को माइनिंग के लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन प्रोसेसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में समय लगेगा.


भारत का वैश्विक सप्लायर बनने का सपना

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेयर अर्थ के लिए एक 'स्ट्रैटेजिक रेस' शुरू हो गई है। अमेरिका और यूरोप वैकल्पिक सप्लायर्स की खोज में हैं। भारत इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन सकता है, लेकिन इसके लिए सरकारी समर्थन, अनुसंधान, निवेश और नीतियों में स्पष्टता आवश्यक होगी.