क्या भारत-रूस संबंधों में नई गर्माहट लाएगी पुतिन की यात्रा?
क्रेमलिन ने मोदी के स्वागत को बताया विशेष
गुरुवार को क्रेमलिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का नई दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर स्वागत करने के निर्णय को विशेष और अप्रत्याशित करार दिया। रूस ने बताया कि भारतीय पक्ष ने इस कदम की पूर्व सूचना नहीं दी थी, जिससे यह क्षण और भी महत्वपूर्ण बन गया।
गर्मजोशी से किया गया स्वागत
रूसी प्रेस नोट में उल्लेख किया गया कि पुतिन का स्वागत करने के लिए विमान की सीढ़ियों तक जाना मोदी का एक गर्मजोशी भरा और अनौपचारिक लेकिन प्रभावशाली इशारा था। पुतिन गुरुवार शाम भारत पहुंचे, और उनका यह दौरा लगभग 27 घंटे का निर्धारित है। यह यात्रा उस समय हो रही है जब अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति में तनाव बढ़ रहा है, लेकिन भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत बने हुए हैं।
🚨🇮🇳🇷🇺Modi’s decision to meet Putin at the aircraft ramp was unexpected, and the Russian side had not been informed in advance - Kremlin https://t.co/wvhlaYQWmY pic.twitter.com/dOGq5oxUKp
— Sputnik (@SputnikInt) December 4, 2025
चार साल बाद भारत आने पर मोदी ने एयरपोर्ट पर पुतिन का स्वागत किया। दिलचस्प यह है कि तीन महीने पहले तियानजिन में एससीओ बैठक के दौरान दोनों नेता एक ही कार में यात्रा करते हुए देखे गए थे। इस बार भी एयरपोर्ट से वे एक साथ रवाना हुए।
निजी रात्रिभोज का आयोजन
आज शाम, प्रधानमंत्री मोदी पुतिन के सम्मान में एक निजी रात्रिभोज का आयोजन कर रहे हैं। यह डिनर दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत का एक अवसर माना जा रहा है, जो शुक्रवार को होने वाली 23वीं भारत-रूस शिखर वार्ता के लिए आधार तैयार करेगा। इसे पिछले साल जुलाई में मोदी की मॉस्को यात्रा के दौरान मिले आतिथ्य का प्रतिदान भी माना जा रहा है।
शिखर वार्ता के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। रक्षा सहयोग को मजबूत करना, द्विपक्षीय व्यापार को वैश्विक दबावों से सुरक्षित रखने के उपाय खोजना और छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों में संभावित सहयोग की संभावनाएं प्रमुख एजेंडा में शामिल हैं। पश्चिमी देशों की नजर भी इस बैठक पर है, क्योंकि यह वार्ता भारत-अमेरिका संबंधों में हाल की ठंडक के संदर्भ में हो रही है।
पुतिन की इस यात्रा के दौरान व्यापार, तकनीक और रक्षा से जुड़े कई समझौतों पर अंतिम रूप दिया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा भारत और रूस के दीर्घकालिक रणनीतिक संबंधों को नई दिशा देगी और बदलते वैश्विक परिदृश्य में दोनों देशों को और करीब लाएगी।
