क्या भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.3% पर टिक पाएगी? जानें विशेषज्ञों की राय
भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति
भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी तेज़ गति को बनाए रखने में सफल रही है। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई से सितंबर की तिमाही में देश की जीडीपी में 7.3% की वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है। यह आंकड़ा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगाने का दबाव डाला है, जिससे व्यापारिक माहौल में चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
बाजार में धन का प्रवाह
इस तिमाही में विकास की कहानी मुख्य रूप से ग्रामीण भारत और सरकारी खर्च के इर्द-गिर्द घूमती है, जबकि निजी कंपनियों ने निवेश में संकोच किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर फसल और मानसून के सकारात्मक प्रभाव के चलते खपत में वृद्धि हुई है। घरेलू खपत, जो कि देश की अर्थव्यवस्था का लगभग 60% है, पिछले तिमाही में मजबूत बनी रही। इसका अर्थ है कि लोग सामान खरीद रहे हैं, जिससे बाजार में धन का प्रवाह बढ़ा है। इसके साथ ही, सरकार ने बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं पर निरंतर खर्च किया है, जिसने अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है।
शहरी मांग में कमी
हालांकि, शहरी मांग अपेक्षाकृत कमजोर रही है और निजी क्षेत्र नए निवेश में हिचकिचा रहा है। इसका एक बड़ा कारण वैश्विक अनिश्चितताएँ हैं। अगस्त में अमेरिकी टैरिफ बढ़ाने की घोषणा ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप इस वर्ष अब तक लगभग 16 अरब डॉलर का विदेशी निवेश भारतीय शेयर बाजार से बाहर चला गया है। डॉयचे बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक दास का कहना है कि जब तक वैश्विक माहौल स्थिर नहीं होता, तब तक निजी क्षेत्र बड़े निवेश में संकोच करेगा।
वास्तविक ग्रोथ पर चिंता
विशेषज्ञों का ध्यान वास्तविक ग्रोथ पर भी है। कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 7.3% की वृद्धि दर कुछ हद तक बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत की गई है। इसका कारण डिफ्लेटर का कम होना है। जुलाई से सितंबर में थोक महंगाई लगभग नगण्य रही और खुदरा महंगाई 2% के आसपास रही, जिससे सांख्यिकीय रूप से जीडीपी ग्रोथ अधिक दिखी। एलएंडटी फाइनेंस की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी ठाकुर के अनुसार, यह सहारा वित्त वर्ष के अंत तक कुछ हद तक बना रह सकता है।
भविष्य की संभावनाएँ
भारतीय परिवार पहले से ही भारी कर्ज में डूबे हुए हैं, इसलिए हाल में जीएसटी कटौती से मिलने वाला अतिरिक्त पैसा अधिकतर कर्ज चुकाने में जाएगा, न कि खर्च में। अर्थशास्त्री भविष्य के लिए सतर्क हैं और अनुमान है कि आने वाली तिमाहियों में विकास दर 6.8% तक गिर सकती है और मार्च 2026 तक यह 6.3% तक पहुंच सकती है। आधिकारिक आंकड़े शुक्रवार, 28 नवंबर को जारी किए जाएंगे, जो पूरी तस्वीर को स्पष्ट करेंगे।
