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क्या भारतीय नौकरी बाजार में भू-राजनीतिक तनाव का असर बढ़ रहा है?

मध्य पूर्व में बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों का भारतीय नौकरी बाजार पर गहरा असर पड़ रहा है। हाल के एक सर्वेक्षण में सामने आया है कि 63% कंपनियों ने हायरिंग फ्रीज कर दी है या स्टाफ में कटौती शुरू कर दी है। इस स्थिति का असर प्रमोशन, बोनस, और कर्मचारियों की मानसिक स्थिति पर भी पड़ रहा है। जानें कैसे भारतीय पेशेवर इस अस्थिरता का सामना कर रहे हैं और क्या बदलाव आ रहे हैं।
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क्या भारतीय नौकरी बाजार में भू-राजनीतिक तनाव का असर बढ़ रहा है?

भारतीय नौकरी बाजार पर भू-राजनीतिक तनाव का प्रभाव

India Job Market: मध्य पूर्व में बढ़ते राजनीतिक तनावों का सीधा असर भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र पर पड़ रहा है। कंपनियों ने भर्तियां रोक दी हैं, कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है, और कर्मचारियों के मन में चिंता बढ़ती जा रही है। हाल के एक सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि 63 प्रतिशत से अधिक कंपनियों ने या तो हायरिंग फ्रीज कर दी है या स्टाफ में कटौती शुरू कर दी है।


HR सेवाओं की कंपनी जीनियस कंसल्टेंट्स द्वारा किए गए इस सर्वे में यह स्पष्ट हुआ है कि वैश्विक संघर्ष, विशेषकर मध्य पूर्व में, अब भारतीय कार्यस्थलों को भी प्रभावित कर रहे हैं। यह संकट केवल भर्तियों और नौकरी की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर प्रमोशन, बोनस, अपस्किलिंग और कर्मचारियों की मानसिक स्थिति पर भी पड़ रहा है।


किसे और कैसे हो रहा है नुकसान?

सर्वे के अनुसार, भू-राजनीतिक अनिश्चितता की आर्थिक लहरें भारत की कॉर्पोरेट दुनिया में गहराई तक असर डाल रही हैं:



  • 15% कंपनियां अब फुल टाइम कर्मचारियों के बजाय कॉन्ट्रैक्ट या फ्रीलांस मॉडल की ओर झुक रही हैं ताकि वे अनिश्चितता के समय में लचीले बने रहें।


  • 36% कर्मचारियों ने बताया कि उनकी सैलरी वृद्धि, बोनस या अप्रैजल पर रोक लगा दी गई है या उसमें कटौती हुई है।


  • 22% पेशेवरों ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा और व्यापार अवसरों में व्यवधान की बात कही, जिससे वैश्विक स्तर पर कामकाज पर असर पड़ा है।


  • 21% ने बताया कि उनके कार्यस्थल पर मनोबल गिरा है और नौकरी को लेकर आत्मविश्वास कम हो गया है।



बदलाव की ओर बढ़ती वर्कफोर्स

इस सर्वेक्षण ने यह भी दिखाया कि भारतीय पेशेवर इस अस्थिरता के समय में कैसे प्रतिक्रिया दे रहे हैं:



  • 55% कर्मचारी नई स्किल्स या सर्टिफिकेशन ले रहे हैं ताकि प्रतिस्पर्धा में बने रह सकें।


  • 31% कर्मचारी नई नौकरी की तलाश में हैं, क्योंकि वे मौजूदा हालात को अस्थिर मान रहे हैं या पहले से कठिन परिस्थितियों का सामना कर चुके हैं।


  • कुल मिलाकर 56% उत्तरदाताओं ने अपने करियर को लेकर चिंता जताई, जिनमें से 30% ने कहा कि वे शुरुआती व्यवधान देख रहे हैं, जबकि 26% स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।



वर्क कल्चर में बड़ा बदलाव

इस परिस्थिति पर जीनियस कंसल्टेंट्स के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर आर. पी. यादव ने कहा, "यह सर्वे उसी समय का प्रतिबिंब है जिसमें हम जी रहे हैं। बाहरी दुनिया की हलचलें अब अंदरूनी कार्यसंस्कृति को इतनी तेजी से बदल रही हैं, जितनी कल्पना भी नहीं की गई थी। 63% कंपनियों द्वारा हायरिंग फ्रीज या स्टाफ कटौती करना और कर्मचारियों का तेजी से अपस्किलिंग या नई नौकरियों की ओर बढ़ना, यह संकेत है कि हम केवल एक अस्थायी दौर से नहीं गुजर रहे, बल्कि कार्य की नई दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं।"


उन्होंने आगे कहा कि नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को पारदर्शिता, लचीलापन और धैर्य के साथ इस बदलते आर्थिक माहौल में खुद को ढालना होगा।


आईटी सेक्टर और फ्रेशर्स के लिए और भी बुरी खबर

यह डेटा ऐसे समय सामने आया है जब आईटी सेक्टर पहले से ही मंदी का सामना कर रहा है। कई कंपनियां लगातार छंटनी कर रही हैं और हायरिंग लगभग बंद है। खासकर फ्रेशर्स और जूनियर डेवलपर्स एक ऐसी स्थिति में फंस गए हैं जिसे लूप ऑफ एंडलेस अप्लिकेशन्स कहा जा रहा है जहाँ आवेदन करते रहना पड़ता है लेकिन नौकरी नहीं मिलती।


इस संकट को और बढ़ा रहे हैं वैश्विक महंगाई, विदेशी ग्राहकों से घटती मांग और बढ़ती ऑटोमेशन की चुनौतियाँ, जिससे वर्कफोर्स पर दबाव और बढ़ गया है।