क्या मणिपुर में लौट रही है शांति? RSS की नई प्रतिक्रिया पर उठे सवाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिक्रिया
राष्ट्रीय समाचार: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने मणिपुर में पिछले एक वर्ष से चल रही हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि जब हालात बिगड़ते हैं, तो सामान्य स्थिति में लौटने में समय लगता है। हालांकि, पिछले वर्ष की तुलना में अब स्थिति में सुधार दिखाई दे रहा है। आंबेकर ने इसे शांति की शुरुआत बताया और कहा कि दोनों पक्षों के बीच संवाद हो रहा है, जिससे समाधान की संभावना बनी हुई है। मणिपुर में जातीय हिंसा की शुरुआत 3 मई 2023 को हुई थी, जिसमें 300 से अधिक लोगों की जान गई और हजारों लोग बेघर हो गए। इंफाल, चुराचांदपुर और कांगपोकपी जैसे जिले सबसे अधिक प्रभावित रहे। इसकी जड़ एक हाईकोर्ट के आदेश में थी, जिसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को एसटी दर्जा देने की सिफारिश करने के लिए कहा गया था।
आदिवासी एकजुटता मार्च की भूमिका
इस फैसले के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 3 मई 2023 को 'आदिवासी एकजुटता मार्च' का आयोजन किया। यह मार्च नागा और कुकी समुदायों द्वारा निकाला गया था। मार्च के दौरान चुराचांदपुर के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई, जिसमें भीड़ ने कथित तौर पर मैतेई समुदाय पर हमला किया, जिसके बाद घाटी के जिलों में पलटवार हुआ और आग पूरे राज्य में फैल गई।
सरकारी कार्रवाई और समुदाय की नाराज़गी
सरकारी कार्रवाई और नाराज़गी: हिंसा के पीछे एक और कारण कुकी बहुल गांवों को हटाना था। राज्य सरकार का कहना था कि ये गांव संरक्षित वन क्षेत्रों पर अतिक्रमण कर रहे हैं, जिसे हटाना आवश्यक था। लेकिन कुकी समुदाय ने इसे अपनी ज़मीन और पहचान पर हमला माना, जिससे आदिवासी समाज की नाराज़गी और बढ़ गई। इस कार्रवाई के खिलाफ राज्यभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
आरएसएस की प्रतिक्रिया का महत्व
आरएसएस की प्रतिक्रिया का महत्व: मणिपुर हिंसा पर आरएसएस लंबे समय से चुप था, लेकिन अब जब हालात कुछ हद तक काबू में दिख रहे हैं, संघ ने अपना पक्ष स्पष्ट किया है। यह बयान उस समय आया है जब केंद्र सरकार पर हालात को संभालने का दबाव बढ़ रहा था। आंबेकर ने कहा कि बातचीत ही एकमात्र समाधान है, और शांति की प्रक्रिया धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है।
क्या मणिपुर में स्थायी शांति लौट रही है?
क्या मणिपुर में स्थायी शांति लौट रही है? हाल के दिनों में हिंसा की घटनाएं भले ही कम हुई हों, लेकिन जमीनी स्तर पर तनाव अब भी बना हुआ है। राहत शिविरों में रह रहे लोगों की घर वापसी अभी भी अधूरी है। कई गांवों में सुरक्षा बल तैनात हैं। सामाजिक विश्वास बहाल होने में समय लगेगा, लेकिन आरएसएस के बयान ने एक सकारात्मक संकेत दिया है कि संवाद की कोशिशें जारी हैं। आरएसएस के बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। विपक्ष इसे देर से आया बयान बता रहा है, जबकि सरकार इसे समर्थन मान रही है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या वास्तव में मणिपुर में स्थायी शांति लौटेगी या यह सिर्फ एक राजनीतिक बयान है। आने वाले हफ्ते और जमीनी हालात इस पर अंतिम मुहर लगाएंगे।