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क्या मेहुल चोकसी का प्रत्यर्पण होगा संभव? जानें भारत सरकार के नए कदम

भारत सरकार ने बेल्जियम के न्याय मंत्रालय को एक औपचारिक पत्र भेजा है, जिसमें मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण के लिए सुरक्षा उपायों का उल्लेख किया गया है। इस पत्र में मानवाधिकारों की सुरक्षा, चिकित्सा सुविधाएँ, और न्यायिक प्रक्रिया में निष्पक्षता पर जोर दिया गया है। चोकसी पर कई गंभीर आरोप हैं, जिनमें बैंक धोखाधड़ी शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन आश्वासनों के बाद बेल्जियम सरकार भारत के अनुरोध को सकारात्मक रूप से देख सकती है, जिससे चोकसी का प्रत्यर्पण संभव हो सकेगा।
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क्या मेहुल चोकसी का प्रत्यर्पण होगा संभव? जानें भारत सरकार के नए कदम

भारत ने बेल्जियम को भेजा औपचारिक पत्र

भारत के गृह मंत्रालय ने बेल्जियम के न्याय मंत्रालय और वहां की न्यायिक प्राधिकारियों को एक औपचारिक पत्र भेजा है। इस पत्र में उन शर्तों और प्रावधानों का उल्लेख किया गया है, जिनके तहत वांछित कारोबारी मेहुल चोकसी को भारत लाए जाने पर हिरासत में रखा जाएगा। यह कदम प्रत्यर्पण प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए उठाया गया है।


मानवाधिकारों की सुरक्षा पर जोर

इस पत्र में मानवाधिकारों से संबंधित सुरक्षा उपायों पर विशेष ध्यान दिया गया है। गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र सरकार और जेल प्रशासन के साथ चर्चा के बाद इन आश्वासनों को अंतिम रूप दिया है। इसमें चोकसी को मिलने वाले आवासीय प्रावधान, चिकित्सा सुविधाएँ, और न्यायिक प्रक्रिया में निष्पक्षता जैसे पहलुओं को स्पष्ट किया गया है।


सीबीआई के मामले में प्रत्यर्पण की मांग

भारत सरकार ने बेल्जियम अधिकारियों को यह आश्वासन केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर मामले के संदर्भ में दिया है। चोकसी पर भारतीय कानून के तहत कई गंभीर आरोप हैं, जिनमें आपराधिक षड्यंत्र, आपराधिक विश्वासघात, धोखाधड़ी, और सबूत मिटाने का अपराध शामिल हैं। इसके अलावा, उस पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी कार्रवाई की जा रही है।


बैंक धोखाधड़ी के गंभीर आरोप

मेहुल चोकसी पर हजारों करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का आरोप है। वह पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले का मुख्य आरोपी माना जाता है, जिसने भारतीय बैंकिंग प्रणाली को हिला कर रख दिया था। चोकसी लंबे समय से भारत से बाहर रहकर प्रत्यर्पण से बचने की कोशिश कर रहा है।


अंतरराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में कदम

भारत सरकार द्वारा बेल्जियम को भेजे गए ये आश्वासन केवल औपचारिकता नहीं हैं, बल्कि प्रत्यर्पण संधियों और अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चोकसी को भारत लाने के बाद उसके साथ किसी प्रकार का भेदभाव या अमानवीय व्यवहार न हो। इससे बेल्जियम अदालतों और न्यायिक अधिकारियों के सामने भारत की स्थिति मजबूत होगी।


कानूनी प्रक्रिया में तेजी की उम्मीद

विशेषज्ञों का मानना है कि इन आश्वासनों के बाद बेल्जियम सरकार और अदालतें भारत के अनुरोध को सकारात्मक दृष्टिकोण से देख सकती हैं। इससे चोकसी का प्रत्यर्पण संभव हो सकेगा और भारत में लंबित मुकदमों की सुनवाई आगे बढ़ सकेगी।