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क्या यूक्रेन को मिलेगी सुरक्षा गारंटी? पुतिन-ट्रंप की बैठक से उठे सवाल

अलास्का में पुतिन और ट्रंप की मुलाकात ने यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में नई संभावनाएं खोली हैं। रूस ने पहली बार यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने पर सहमति जताई है, लेकिन इसके साथ कुछ शर्तें भी हैं। अमेरिका और यूरोप की रणनीति में बदलाव आ रहा है, जिसमें यूक्रेन को नाटो जैसी सुरक्षा देने की बात की जा रही है। आगामी बैठक में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं की भागीदारी से इस मुद्दे पर ठोस निर्णय की उम्मीद है। क्या यह बैठक यूक्रेन के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगी? जानें पूरी कहानी।
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क्या यूक्रेन को मिलेगी सुरक्षा गारंटी? पुतिन-ट्रंप की बैठक से उठे सवाल

अलास्का में पुतिन-ट्रंप की मुलाकात

Alaska meeting: अलास्का में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई बैठक ने यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। इस मुलाकात के बाद यह संकेत मिले हैं कि रूस पहली बार यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने के लिए सहमत हो गया है। हालांकि, पुतिन की शर्त यह है कि यूक्रेन को नाटो का औपचारिक सदस्य नहीं बनना चाहिए।


अमेरिका और यूरोप की नई रणनीति

अमेरिका-यूरोप की रणनीति

अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि पुतिन इस बात पर सहमत हो गए हैं कि अमेरिका और यूरोपीय देश मिलकर यूक्रेन को नाटो जैसी सुरक्षा प्रदान करें। ट्रंप के करीबी राजनयिक स्टीव विटकॉफ ने इसे अब तक का सबसे बड़ा बदलाव बताया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका यूक्रेन को आर्टिकल-5 जैसी सुरक्षा देने पर सहमत हुआ है, जो नाटो का मूल आधार है।


आर्टिकल-5 का महत्व

आर्टिकल-5 का महत्व

नाटो संधि का आर्टिकल-5 यह निर्धारित करता है कि यदि किसी सदस्य देश पर हमला होता है, तो यह सभी देशों पर हमले के समान माना जाएगा और सभी मिलकर जवाब देंगे। यही कारण है कि यूक्रेन लंबे समय से नाटो में शामिल होने की कोशिश कर रहा है। यदि उसे यह सुरक्षा गारंटी अलग समझौते के तहत मिलती है, तो यह उसके लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप वास्तव में पूर्ण सुरक्षा गारंटी देने के लिए तैयार हैं या नहीं।


आगामी बैठक की तैयारी

आगामी बैठक

रिपोर्टों के अनुसार, सोमवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की व्हाइट हाउस में ट्रंप और कई यूरोपीय नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। इस बैठक के बाद कोई ठोस निर्णय सामने आने की संभावना है। ट्रंप ने पहले ही सोशल मीडिया पर संकेत दिया था कि रूस से जुड़े महत्वपूर्ण कदम की घोषणा जल्द की जाएगी।


डोनबास मुद्दे पर चर्चा

डोनबास मुद्दा

बैठक से जुड़े सूत्रों ने बताया कि रूस ने डोनबास क्षेत्र को लेकर अपनी मांगें रखी हैं। यह भी कहा जा रहा है कि ट्रंप जेलेंस्की पर दबाव डाल सकते हैं कि वे डोनबास के कुछ हिस्से रूस को सौंपने पर विचार करें। यदि ऐसा होता है, तो यह संघर्ष के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।


यूरोप का समर्थन

यूरोप का समर्थन

पुतिन और ट्रंप की इस महत्वपूर्ण मुलाकात में जेलेंस्की को शामिल न किए जाने पर यूरोप के प्रमुख देशों ने उनके समर्थन में खड़े होने का संकेत दिया है। फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के नेताओं ने यह स्पष्ट किया है कि वे जेलेंस्की को अलग-थलग नहीं होने देंगे। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने भी घोषणा की है कि वे व्हाइट हाउस की बैठक में मौजूद रहेंगी।


यूरोपीय नेताओं की सक्रियता

यूरोपीय नेताओं की सक्रियता

रविवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज और नाटो प्रमुख मार्क रूट ने भी अमेरिका पहुंचने की घोषणा की। यह स्पष्ट करता है कि यूरोप नहीं चाहता कि बातचीत केवल पुतिन और ट्रंप के बीच सीमित रह जाए।