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क्या सस्ते 5G Wi-Fi प्लान्स टेलीकॉम कंपनियों के लिए बन सकते हैं समस्या?

भारत में 5G तकनीक ने इंटरनेट क्षेत्र में एक नई क्रांति का आगाज़ किया है। रिलायंस जियो और एयरटेल जैसे प्रमुख टेलीकॉम कंपनियाँ सस्ते 5G फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (FWA) योजनाओं के माध्यम से लाखों घरों में उच्च गति इंटरनेट प्रदान कर रही हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ये किफायती योजनाएँ दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ नहीं हो सकतीं। क्या ये सस्ते विकल्प टेलीकॉम कंपनियों के लिए आर्थिक संकट का कारण बन सकते हैं? जानें इस लेख में।
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क्या सस्ते 5G Wi-Fi प्लान्स टेलीकॉम कंपनियों के लिए बन सकते हैं समस्या?

5G तकनीक का प्रभाव और सस्ते प्लान्स की चुनौतियाँ

भारत में 5G तकनीक ने इंटरनेट क्षेत्र में एक नई क्रांति का आगाज़ किया है। रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसे प्रमुख टेलीकॉम कंपनियाँ सस्ते 5G फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस (FWA) योजनाओं के माध्यम से लाखों घरों में उच्च गति इंटरनेट प्रदान कर रही हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ये किफायती योजनाएँ, जो डेटा की अत्यधिक खपत को बढ़ावा दे रही हैं, दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ नहीं हो सकतीं। क्या ये सस्ते विकल्प टेलीकॉम कंपनियों के लिए आर्थिक संकट का कारण बन सकते हैं? आइए, इस पर गहराई से विचार करते हैं।


FWA कनेक्शनों की वृद्धि और उसके पीछे की चुनौतियाँ

जियो और एयरटेल हर महीने लाखों नए FWA ग्राहकों को जोड़ रहे हैं। अनुमान है कि अप्रैल 2025 तक भारत में कुल 75 लाख FWA उपयोगकर्ता होंगे, जिनमें जियो के 61.4 लाख और एयरटेल के 13.6 लाख ग्राहक शामिल हैं। हर महीने औसतन 7.3 लाख नए FWA कनेक्शन जोड़े जा रहे हैं, जो फिक्स्ड ब्रॉडबैंड के 3.7 लाख कनेक्शनों से कहीं अधिक है।


हालांकि, यह वृद्धि प्रभावशाली है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह मॉडल 5G स्पेक्ट्रम पर दबाव डाल सकता है। जैसे-जैसे मोबाइल 5G उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ेगी, FWA कनेक्शन नेटवर्क पर बोझ डाल सकते हैं, जिससे कंपनियों को या तो कीमतें बढ़ानी पड़ सकती हैं या फाइबर-आधारित कनेक्शनों की ओर रुख करना पड़ सकता है।


सस्ते प्लान्स का आर्थिक गणित

एवेंडस कैपिटल के विशेषज्ञ प्रवीण झावर के अनुसार, मोबाइल 5G योजनाओं में कंपनियाँ 1GB डेटा के लिए ₹200 चार्ज करती हैं, जबकि FWA योजनाओं में तीन महीने के लिए 1000GB डेटा केवल ₹2200 में उपलब्ध है। यह प्रति GB लागत के दृष्टिकोण से टेलीकॉम कंपनियों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।


डेटा की अधिक खपत वाले घरों में FWA का यह मॉडल लागत और राजस्व के बीच संतुलन को बिगाड़ सकता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि कंपनियों को अब केवल ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के बजाय मूल्य-आधारित योजनाओं, जैसे कंटेंट स्ट्रीमिंग, क्लाउड सेवाओं, और एंटरप्राइज सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।


फाइबर और हाइब्रिड मॉडल का महत्व

इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP) संघ के अध्यक्ष राजेश चारिया का कहना है कि उपभोक्ता अब धीरे-धीरे FWA की बजाय फाइबर-आधारित कनेक्शनों को प्राथमिकता दे रहे हैं। विशेषकर टियर 2 और टियर 3 शहरों में, जहां इंटरनेट की मांग तेजी से बढ़ रही है, एक हाइब्रिड मॉडल (FWA, डीप फाइबर, और साझा इंफ्रास्ट्रक्चर का मिश्रण) अधिक व्यावहारिक हो सकता है। यह मॉडल न केवल नेटवर्क की भीड़ को कम करेगा, बल्कि दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ और लाभकारी भी साबित होगा।


उपभोक्ताओं के लिए सही विकल्प

PwC इंडिया के विनिश बावा का सुझाव है कि टेलीकॉम कंपनियों को अब केवल डेटा की मात्रा पर ध्यान देने के बजाय मूल्यवर्धित सेवाओं पर जोर देना चाहिए। उदाहरण के लिए, कंटेंट बंडलिंग, क्लाउड-आधारित समाधान, और व्यवसाय-केंद्रित सेवाएँ ग्राहकों को आकर्षित करने के साथ-साथ कंपनियों के लिए नए राजस्व स्रोत बन सकती हैं। उपभोक्ताओं के लिए यह आवश्यक है कि वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार सही योजना का चयन करें, ताकि उन्हें तेज और विश्वसनीय इंटरनेट का अनुभव मिल सके।