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क्या है Zapad 2025? बेलारूस में अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति ने बढ़ाई चिंता

रूस और बेलारूस का संयुक्त सैन्य अभ्यास Zapad 2025 में अमेरिकी सैनिकों की अप्रत्याशित उपस्थिति ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है। यह अभ्यास नाटो देशों की सीमाओं के निकट हो रहा है और इसे रूस-बेलारूस की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन माना जा रहा है। अमेरिकी सैनिक केवल अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक के रूप में मौजूद थे, जो एक कूटनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। जानें इस अभ्यास का महत्व और बेलारूस के बदलते दृष्टिकोण के बारे में।
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क्या है Zapad 2025? बेलारूस में अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति ने बढ़ाई चिंता

रूस और बेलारूस का संयुक्त सैन्य अभ्यास

Zapad 2025: रूस और बेलारूस द्वारा आयोजित एक विशाल संयुक्त सैन्य अभ्यास, जिसे जापाद-2025 के नाम से जाना जाता है, में अचानक दो अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति ने सबका ध्यान खींचा है। यह अभ्यास नाटो देशों की सीमाओं के निकट हो रहा है और इसे रूस-बेलारूस की सैन्य ताकत का प्रदर्शन माना जा रहा है। पोलैंड और रूस के बीच बढ़ते तनाव के बीच इस ड्रिल ने वैश्विक स्तर पर हलचल पैदा कर दी है.


अमेरिकी सैनिकों की भूमिका

हालांकि, अमेरिकी सैनिक किसी सैन्य ऑपरेशन का हिस्सा नहीं थे। वे केवल अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के रूप में उपस्थित थे। बेलारूस ने इसे एक अप्रत्याशित दौरा बताया है। अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति को एक रणनीतिक और कूटनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है.


वीडियो में अमेरिकी सैनिक

सोमवार को बेलारूस के रक्षा मंत्रालय ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें दो अमेरिकी सैनिकों को बेलारूस के रक्षा मंत्री से हाथ मिलाते हुए देखा गया। इनमें से एक की पहचान लेफ्टिनेंट कर्नल ब्रायन शूप के रूप में हुई है। बेलारूस ने बताया कि इस बार अभ्यास में कुल 23 देशों के सैनिक पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हुए हैं, जिनमें नाटो सदस्य तुर्की और हंगरी भी शामिल हैं.


जापाद-2025 का महत्व

जापाद-2025 रूस और बेलारूस का सबसे बड़ा संयुक्त सैन्य अभ्यास है, जिसमें जमीनी और नौसैनिक दोनों प्रकार के अभ्यास किए जा रहे हैं। जर्मन सेना के अनुसार, लगभग 13,000 सैनिक बेलारूस में और लगभग 30,000 सैनिक रूस में इस अभ्यास का हिस्सा बन रहे हैं.


बेलारूस का नया दृष्टिकोण

अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार, बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यासों में विदेशी पर्यवेक्षकों को आमंत्रित करना अनिवार्य है। रूस अक्सर ऐसा नहीं करता, लेकिन बेलारूस ने इस बार पारदर्शिता का संदेश देने के लिए विदेशी सैनिकों को बुलाया। विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने बेलारूस से दूरी बना ली थी, लेकिन अब स्थिति बदलती दिख रही है.


अमेरिका-बेलारूस संबंधों में बदलाव

हाल ही में अमेरिका ने बेलारूस की एयरलाइन बेलाविया पर लगाए गए कुछ प्रतिबंध हटा लिए हैं। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन मिन्स्क में अमेरिकी दूतावास को फिर से खोलने पर विचार कर रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको को एक निजी नोट भी भेजा है.


कूटनीतिक संकेत

विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिकी सैनिकों की उपस्थिति किसी सैन्य खतरे का संकेत नहीं है, बल्कि यह एक कूटनीतिक संदेश है कि बेलारूस, जो रूस का करीबी सहयोगी है, अमेरिका के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर रहा है। यह बेलारूस की दोहरी रणनीति और अंतरराष्ट्रीय मंच पर संतुलन साधने की कोशिश को दर्शाता है.