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क्या है पंजाब के खानपुर गांव का अनोखा कुत्ता मंदिर? जानें इस अद्भुत परंपरा के बारे में

पंजाब के खानपुर गांव में कुत्तों को भगवान का दर्जा दिया गया है, जहां उनके नाम पर 160 बीघे से अधिक भूमि है। यहां के लोग कुत्तों को पूजा करते हैं और उनके लिए विशेष भोग तैयार करते हैं। यह गांव न केवल अपने अनोखे विश्वास के लिए जाना जाता है, बल्कि यह इंसानियत और करुणा का एक बड़ा उदाहरण भी प्रस्तुत करता है। जानें इस अद्भुत परंपरा के पीछे की कहानी और कैसे यह गांव श्रद्धा का केंद्र बन गया है।
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क्या है पंजाब के खानपुर गांव का अनोखा कुत्ता मंदिर? जानें इस अद्भुत परंपरा के बारे में

खानपुर गांव की अनोखी पहचान

पंजाब न्यूज. पंजाब के पटियाला जिले का खानपुर गांव आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है। यहां के कुत्तों को करोड़पति कहा जाता है, क्योंकि उनके नाम पर 160 बीघे से अधिक भूमि दर्ज है। यह भूमि करोड़ों की कीमत रखती है, और गांववाले मानते हैं कि ये बेजुबान भगवान के समान हैं। यहां इंसान नहीं, बल्कि कुत्ते असली मालिक माने जाते हैं।


कुत्तों के प्रति श्रद्धा

आस्था से जुड़ी परंपरा

इस गांव में लगभग 800 परिवार निवास करते हैं, और हर परिवार कुत्तों को भगवान की तरह मानता है। लोग तब तक भोजन नहीं करते जब तक कुत्तों को भोग न लगाया जाए। मंदिर में कुत्तों को पहले मिस्सी रोटी और लस्सी दी जाती है। सुबह और शाम आरती होती है, और वहां का माहौल किसी बड़े धार्मिक स्थल जैसा होता है।


भोग की रस्म और मंदिर

मंदिर और भोग की रस्म

गांव के डेरे में भगवान शिव का मंदिर है, जहां महंत हर दिन आवाज़ लगाते हैं – “आयो… आयो।” यह सुनकर कुत्तों का झुंड मंदिर में पहुंच जाता है। उनके लिए विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जिन्हें महंत अपने हाथों से खिलाते हैं। इसके बाद भक्तों में लंगर बांटा जाता है। यहां बिना भोग लगाए कोई भी इंसान भोजन नहीं करता।


इतिहास की गहराई

जमीन का चौंकाने वाला सच

इस परंपरा की जड़ें इतिहास में गहरी हैं। पटियाला के संस्थापक बाबा आला ने जब महंत भगवान गिरी को जमीन दान करने की पेशकश की, तो उन्होंने इसे अपने नाम पर लेने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यह भूमि इंसानों के नाम पर नहीं, बल्कि उन कुत्तों के नाम पर होनी चाहिए जो तपस्या के समय उनके साथ थे। तब से यह भूमि बेजुबानों के नाम पर दर्ज है।


श्रद्धा का केंद्र

श्रद्धा और मन्नत का स्थान

गांव में केवल स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि आस-पास के गांवों से भी श्रद्धालु आते हैं। वे अपने साथ भोजन लेकर आते हैं और कुत्तों को खिलाकर मन्नत मांगते हैं। यहां लोगों का विश्वास इतना गहरा है कि वे मानते हैं कि कुत्तों की दुआ भी असर करती है। यही कारण है कि यह स्थान धार्मिक आस्था और अनोखे विश्वास का केंद्र बन गया है।


अनुशासन और नियम

नियम और अनुशासन का पालन

गांव के लोग बताते हैं कि यहां सभी नियम कुत्तों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। तीन बार उन्हें खिलाने के बाद ही इंसान भोजन कर सकता है। यदि चाहें, तो जमीन से अच्छी कमाई हो सकती है, लेकिन यह तय है कि इसका उपयोग केवल कुत्तों की सेवा और डेरे के सुधार में होगा। यही अनुशासन इस परंपरा को आज तक जीवित रखे हुए है।


एक मिसाल

दुनिया के लिए मिसाल

खानपुर गांव में कुत्तों और इंसानों का संबंध केवल पालतू और मालिक का नहीं है। यह आस्था, करुणा और मानवता का संगम है। करोड़ों की भूमि और भगवान जैसा दर्जा इन बेजुबानों को यहां एक अलग पहचान देता है। जब दुनिया लालच और संपत्ति की लड़ाई में उलझी है, तब यह गांव इंसानों को करुणा और साझा जीवन का बड़ा सबक सिखाता है।