क्या है मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की तर्ज पर बनने वाली नई मस्जिद का महत्व?
धार्मिक और राजनीतिक आयोजन की तैयारी
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में आज एक महत्वपूर्ण धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर बाबरी मस्जिद की तर्ज पर एक नई मस्जिद का शिलान्यास करने वाले हैं। इस आयोजन के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं, और उत्तर बारासात के निवासी मोहम्मद सफीकुल इस्लाम ईंटें सिर पर उठाकर स्थल पर पहुंचे हैं, जहां वे इस मस्जिद के निर्माण में भागीदार बनने का दावा कर रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक दलों के बीच इस आयोजन को लेकर हलचल मची हुई है। मस्जिद के शिलान्यास कार्यक्रम ने पहले से ही तनाव की स्थिति पैदा कर दी है, जबकि उच्च न्यायालय ने इसे रोकने से इनकार कर दिया है। सुरक्षा बलों की अतिरिक्त तैनाती की गई है और राज्यपाल ने शांति बनाए रखने की अपील की है।
ईंटें ढोते लोग
ईंटें ढोते पहुंचे लोग
मोहम्मद सफीकुल इस्लाम ने कहा कि वह सिर पर ईंटें रखकर उस स्थान पर जा रहे हैं जहां हुमायूं कबीर बाबरी मस्जिद की आधारशिला रखेंगे। उन्होंने कहा कि मस्जिद के निर्माण से उन्हें बहुत खुशी हो रही है।
आयोजन स्थल NH-12 के किनारे स्थित है, जहां बड़े स्तर पर राजनीतिक रैलियों की तैयारियां चल रही हैं। कबीर ने बताया कि कार्यक्रम सुबह 10 बजे कुरान की आयतों के साथ शुरू होगा और दोपहर में शिलान्यास किया जाएगा।
आयोजन का बजट और इंतजाम
कुल बजट और इंतजाम
60–70 लाख रुपये का बजट, सऊदी अरब से बुलाए गए मौलवी
समारोह में शामिल होने वालों के लिए भव्य इंतज़ाम किए जा रहे हैं।
मेहमानों के लिए 40,000 पैकेट बिरयानी
स्थानीय लोगों के लिए 20,000 पैकेट
150×80 फुट का मंच, जिसकी लागत लगभग 10 लाख रुपये
कुल आयोजन बजट: 60–70 लाख रुपये
कबीर के अनुसार, इस कार्यक्रम में सऊदी अरब से मौलवियों को भी बुलाया गया है।
राजनीतिक चेतावनी
भाजपा नेता अर्जुन सिंह की चेतावनी
भाजपा नेता अर्जुन सिंह ने हुमायूं कबीर को चेतावनी दी है कि बाबरी मस्जिद शैली में मस्जिद की आधारशिला रखने पर उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने इलाके में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए हैं। राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने लोगों से अफवाहों से बचने और शांति बनाए रखने की अपील की है। उच्च न्यायालय ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जबकि कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें आयोजन पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
हुमायूं कबीर का राजनीतिक सफर
कौन हैं हुमायूं कबीर?
हुमायूं कबीर, जो कभी ममता बनर्जी की पहली कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं, आज TMC के सबसे विवादास्पद नेताओं में से एक माने जाते हैं। उनका राजनीतिक सफर 90 के दशक में युवा कांग्रेस से शुरू हुआ था, और उन्होंने 2011 में कांग्रेस के टिकट पर रेजिनगर से विधायक का चुनाव लड़ा। बाद में TMC में शामिल होकर मंत्री बने। अभिषेक बनर्जी पर टिप्पणी के बाद उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित किया गया। 2016 में निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 2018 में भाजपा में शामिल हुए और 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसमें फिर से हार का सामना करना पड़ा। 2021 में TMC में वापसी कर भरतपुर से जीत हासिल की।
राजनीतिक भूचाल
विवादित बयान और ताजा राजनीतिक भूचाल
2024 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने यह दावा किया था कि वे हिंदुओं को दो घंटे के भीतर भागीरथी में फेंक सकते हैं, जिसके बाद उन्हें कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा। अब, 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर मस्जिद के शिलान्यास की घोषणा ने एक बार फिर राज्य की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।
