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क्रॉनिक हार्ट फेलियर: लक्षण, जोखिम और उपचार के चरण

आज के जीवन में हृदय रोग एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है, जिसमें क्रॉनिक हार्ट फेलियर एक महत्वपूर्ण स्थिति है। यह धीरे-धीरे दिल की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। लक्षणों में थकान, सूजन और सांस फूलना शामिल हैं। पुरुषों में यह समस्या अधिक देखी जाती है, लेकिन महिलाएं भी जोखिम में हैं। जानें इसके चार चरण और समय पर उपचार के महत्व के बारे में।
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क्रॉनिक हार्ट फेलियर की गंभीरता

आज के तेज़-तर्रार जीवन में हृदय रोग एक आम लेकिन गंभीर समस्या बनती जा रही है। खान-पान की आदतें, तनाव और खराब जीवनशैली के कारण हम अक्सर अपने दिल को अनजाने में खतरे में डाल देते हैं। इनमें से एक गंभीर स्थिति है क्रॉनिक हार्ट फेलियर, जिसमें दिल शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता। यह एक अचानक होने वाली समस्या नहीं है, बल्कि एक धीमी प्रक्रिया है जो शरीर को धीरे-धीरे कमजोर करती है।


लक्षण: जब शरीर संकेत देना शुरू करता है।
क्रॉनिक हार्ट फेलियर की शुरुआत अक्सर बिना किसी विशेष लक्षण के होती है, जिससे लोग इसे सामान्य थकान समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन जैसे-जैसे दिल की कार्यक्षमता में कमी आती है, लक्षण भी स्पष्ट होने लगते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • दिनभर थकान और कमजोरी
  • पैरों, टखनों और पंजों में सूजन
  • रात में बार-बार पेशाब आना
  • सांस फूलना, विशेषकर लेटने या चलने पर
  • सीने में दबाव या जकड़न
  • धड़कनों का अनियमित होना
यदि इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत हृदय रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।


क्या पुरुषों को अधिक खतरा है?
यह आम धारणा है कि हार्ट फेलियर पुरुषों में अधिक होता है, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। बीएलके हार्ट सेंटर, नई दिल्ली के कार्डियक सर्जरी प्रमुख डॉ. अजय कौल के अनुसार, 45 वर्ष की आयु से पहले यह समस्या पुरुषों में अधिक देखी जाती है, जहां पुरुष:महिला अनुपात 7:3 होता है। लेकिन 50 वर्ष के बाद यह अंतर लगभग समाप्त हो जाता है, जिससे महिलाएं भी समान जोखिम में आ जाती हैं।


क्रॉनिक हार्ट फेलियर के चरण और उपचार
इस रोग को चार मुख्य चरणों (Type 1 से Type 4) में वर्गीकृत किया गया है:

  • Type 1: प्रारंभिक अवस्था, जिसमें दवाओं से स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • Type 2 और 3: दिल की क्षमताओं में गिरावट आती है, और कभी-कभी सर्जरी की आवश्यकता होती है।
  • Type 4: सबसे गंभीर अवस्था, जब हृदय 85-90% तक काम करना बंद कर देता है। इस स्थिति में केवल हार्ट ट्रांसप्लांट ही एक विकल्प होता है।
डॉ. कौल बताते हैं कि यदि हृदय 50% तक क्षतिग्रस्त हो चुका है, तो भी समय पर इलाज से सामान्य जीवन संभव है। लेकिन 65% से अधिक नुकसान की स्थिति में स्थिति गंभीर हो जाती है।