क्रॉस LOC ट्रेड सेंटर: भारत-पाकिस्तान व्यापार का सुनसान अतीत

सुनसान पड़ा क्रॉस LOC ट्रेड सेंटर
क्रॉस LOC ट्रेड सेंटर, जो पहले भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार का एक महत्वपूर्ण स्थल था, अब पूरी तरह से वीरान हो चुका है। यह वह स्थान था जहां दोनों देशों के व्यापारी सामान का आदान-प्रदान करते थे। अक्टूबर 2008 में शुरू हुए इस व्यापार में केवल 21 वस्तुओं की अनुमति थी और लेन-देन वस्तु के बदले वस्तु के रूप में होता था। लेकिन पाकिस्तान की नकारात्मक गतिविधियों और आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण भारत ने अप्रैल 2019 में इस व्यापार को समाप्त कर दिया। अब इस क्षेत्र में केवल सन्नाटा है।
ट्रेड सेंटर की वीरानी
जम्मू-कश्मीर में स्थित यह ट्रेड सेंटर अब सुनसान है। पहले यहां काफी हलचल होती थी, क्योंकि यह भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पार व्यापार का केंद्र था। लेकिन पाकिस्तान की नकारात्मक गतिविधियों और आतंकियों को समर्थन देने के कारण भारत सरकार ने अप्रैल 2019 में इस व्यापार को बंद करने का निर्णय लिया। अब यहां केवल सन्नाटा है और सुरक्षा बलों की निगरानी में यह क्षेत्र है।
व्यापार की शुरुआत
क्रॉस LOC व्यापार अक्टूबर 2008 में शुरू हुआ था, जो जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बीच होता था। यह व्यापार बिना कर के यानी टैक्स फ्री था और इसमें केवल 21 वस्तुओं के आयात-निर्यात की अनुमति थी, जैसे फल, ड्राई फ्रूट, मसाले, कालीन और जड़ी-बूटियां। इस व्यापार की विशेषता यह थी कि इसमें पैसों का लेन-देन नहीं होता था, बल्कि वस्तु के बदले वस्तु का आदान-प्रदान होता था।
व्यापार के मार्ग
व्यापार के लिए दो मुख्य मार्ग निर्धारित किए गए थे। पहला, उत्तर कश्मीर में उड़ी सेक्टर का अमन सेतु, जहां से व्यापारी मुजफ्फराबाद तक सामान भेजते थे। दूसरा, जम्मू क्षेत्र में पुंछ का चक्का दा बाग, जहां से रावलकोट तक सामान जाता था। यह व्यापार शांति और आपसी विश्वास बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था, लेकिन समय के साथ इसमें कई समस्याएं उत्पन्न हुईं।
व्यापार का अंत
भारत सरकार ने जब देखा कि इस व्यापार का पैसा आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है, तो अप्रैल 2019 में इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया। 18 अप्रैल 2019 को केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर यह आदेश दिया कि क्रॉस LOC ट्रेड को स्थायी रूप से बंद किया जा रहा है। इसके बाद से दोनों व्यापारिक मार्ग बंद हैं और सुरक्षा बल यहां तैनात रहते हैं। आज यह ट्रेड सेंटर खामोश है, लेकिन इसकी दीवारें उस समय की गवाही देती हैं जब यहां दो देशों के व्यापार की उम्मीदें जुड़ी थीं।