खालिद का शिवाजी फिल्म पर विवाद: हिंदू संगठनों का आरोप

फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों का गलत प्रस्तुतिकरण
खालिद का शिवाजी फिल्म: एक समिति के अनुसार, इस फिल्म में यह दावा किया गया है कि शिवाजी महाराज की सेना में 35% मुस्लिम सैनिक शामिल थे, उनके 11 अंगरक्षक भी मुस्लिम थे और उन्होंने रायगढ़ में एक मस्जिद का निर्माण कराया था। संगठन का कहना है कि ये सभी दावे झूठे और ऐतिहासिक साक्ष्यों के बिना हैं। समिति ने इसे एक सोची-समझी साजिश करार दिया है, जिसका उद्देश्य शिवाजी महाराज की छवि को सेक्युलर बताकर जनता को गुमराह करना है।
तथ्यों का गलत उपयोग
हिंदू जनजागृति समिति ने अपने दावे को मजबूत करने के लिए शिवाजी महाराज द्वारा अपने सौतेले भाई व्योंकोजी को लिखे गए पत्र का उल्लेख किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'तुर्क फौज में रखे तो जय कैसे होगा?' समिति का कहना है कि इस तरह के स्पष्ट ऐतिहासिक संदर्भों को नजरअंदाज कर फिल्म में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।
धार्मिक भावनाओं का उल्लंघन
समिति के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि यदि मुस्लिम समुदाय को वास्तव में शिवाजी महाराज से प्रेम होता, तो उनके खिलाफ षड्यंत्र रचने वाले पांच मुस्लिम शासकों का इतिहास या छत्रपति संभाजी महाराज की क्रूर हत्या की घटनाएं नहीं होतीं।
संगठन ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(2) और भारतीय दंड संहिता की धारा 295A का हवाला देते हुए कहा कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली ऐसी फिल्में कानून व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा बनती हैं। उन्होंने याद दिलाया कि इससे पहले 'पद्मावत' और 'जोधा अकबर' जैसी फिल्मों को भी इसी कारण जनविरोध का सामना करना पड़ा था।
समिति ने मांग की है कि जब तक फिल्म में दिखाई गई ऐतिहासिक जानकारियों का प्रामाणिक सत्यापन नहीं हो जाता, तब तक 'खालिद का शिवाजी' पर प्रतिबंध लगाया जाए।