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खीरे की खेती: जून में शुरू करें, 350 क्विंटल तक मुनाफा

गर्मी और बरसात का मौसम किसानों के लिए खीरे की खेती का सुनहरा अवसर है। उन्नत किस्में जैसे डीपी-6, स्वर्ण शीतल, और पंत संकर, कम समय में अधिक उत्पादन देती हैं। इस लेख में जानें कि कैसे जून में खीरे की खेती शुरू करके आप 350 क्विंटल तक मुनाफा कमा सकते हैं। इसके साथ ही, खेती की विशेषताएं और रोग प्रबंधन के उपाय भी जानें।
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खीरे की खेती: जून में शुरू करें, 350 क्विंटल तक मुनाफा

खीरे की उन्नत किस्में और खेती के लाभ

खीरे की खेती: जून में शुरू करें, 350 क्विंटल तक मुनाफा गर्मियों और बारिश के मौसम में किसानों के लिए खीरे की खेती एक सुनहरा अवसर प्रस्तुत करती है। कम समय में अधिक उत्पादन और लाभ देने वाली उन्नत किस्में जैसे डीपी-6, स्वर्ण शीतल, और पंत संकर, किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही हैं।


इस खेती को कम लागत में शुरू किया जा सकता है, और बाजार में खीरे की निरंतर मांग इसे आर्थिक रूप से भी फायदेमंद बनाती है। आइए, जून में खेती के लिए उपयुक्त इन किस्मों और उनकी विशेषताओं पर नजर डालते हैं।खीरे की किस्में


खीरे की खेती की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह केवल 45 से 50 दिनों में तैयार हो जाती है और तीन महीने तक लगातार फल देती है। डीपी-6 एक बीजरहित किस्म है, जो 45 दिनों में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके लिए खेत में गहरी जुताई और गोबर की खाद का उपयोग आवश्यक है।


एक हजार वर्ग मीटर में लगभग 4,000 पौधे लगाए जा सकते हैं, जो शानदार उत्पादन देते हैं। स्वर्ण शीतल एक और लोकप्रिय किस्म है, जो चूर्णी फफूंदी जैसे रोगों से लड़ने में सक्षम है। इसके हरे और ठोस फल प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल तक उपज दे सकते हैं।


पंत संकर और पूषा संयोग भी किसानों की पसंदीदा किस्में हैं। पंत संकर के 20 सेंटीमीटर लंबे फल 50 दिनों में तैयार हो जाते हैं और 350 क्विंटल तक पैदावार दे सकते हैं।


वहीं, पूषा संयोग एक हाइब्रिड किस्म है, जिसके कुरकुरे और लंबे फल बाजार में बहुत पसंद किए जाते हैं। यह प्रति हेक्टेयर 200 क्विंटल तक उत्पादन देती है। स्वर्ण पूर्णिमा मध्यम अवधि की किस्म है, जो 45-50 दिनों में 225 क्विंटल तक उपज दे सकती है। इन किस्मों की खेती के लिए गहरी जुताई, नियमित सिंचाई, और प्रमाणित बीजों का उपयोग आवश्यक है।


खीरे की खेती में रोग प्रबंधन भी महत्वपूर्ण है। चूर्णी फफूंदी और कीटों से बचाव के लिए जैविक दवाओं का उपयोग करें। नियमित सिंचाई से बेलों को नमी मिलती है, जो उत्पादन बढ़ाने में मदद करती है। यह खेती न केवल किसानों की आय बढ़ाती है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करती है। जून में शुरू की गई खीरे की खेती आपके लिए मुनाफे का नया रास्ता खोल सकती है।