गरबा नृत्य विवाद: VHP का गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर निर्देश

गरबा नृत्य विवाद:
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने नवरात्रि गरबा समारोहों के आयोजन से पहले एक विवादास्पद निर्देश जारी किया है, जिसमें आयोजकों से गैर-हिंदुओं को समारोह में शामिल होने से रोकने का अनुरोध किया गया है। विहिप के प्रवक्ता श्रीराज नायर ने कहा कि गरबा केवल एक नृत्य नहीं है, बल्कि यह देवी की पूजा का एक अनुष्ठानिक रूप है।
आस्था-आधारित भागीदारी नियम
नायर ने स्पष्ट किया कि चूंकि मुसलमान मूर्ति पूजा में भाग नहीं लेते, इसलिए केवल उन भक्तों को ही प्रवेश दिया जाना चाहिए जो हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। इस निर्देश के बाद, मध्य प्रदेश के भोपाल में एक गरबा कार्यक्रम के आयोजकों ने भी इसी तरह के प्रतिबंधों की घोषणा की है।
विहिप के निर्देशों के अनुसार, प्रतिभागियों को प्रवेश द्वार पर आधार कार्ड दिखाना और माथे पर तिलक लगवाना आवश्यक हो सकता है। इसके अलावा, देवी की पूजा करने की भी अपेक्षा की जा रही है। इस वर्ष, विहिप और बजरंग दल के सदस्य गरबा आयोजनों पर नजर रखेंगे ताकि नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ: कांग्रेस बनाम भाजपा
कांग्रेस पार्टी ने इस कदम की तीखी आलोचना की है। कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने विहिप पर समाज में विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, "विहिप के कार्य भारत की विविधता को कमजोर करते हैं और धर्म को अस्थिरता का साधन बनाते हैं।"
इसके विपरीत, भाजपा नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने विहिप के दिशानिर्देशों का समर्थन करते हुए कहा कि यदि कार्यक्रम आधिकारिक अनुमति से आयोजित किए जाते हैं, तो आयोजकों को प्रवेश नियम निर्धारित करने का अधिकार है। भाजपा के प्रवक्ता नवनाथ बान ने कहा कि अन्य धर्मों के लोगों को हिंदुओं के गरबा करने में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
गरबा एक भक्ति उत्सव
नवरात्रि के दौरान किया जाने वाला पारंपरिक नृत्य गरबा हिंदू धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में गहराई से निहित है। हालांकि यह त्योहार मुख्यतः एक भक्तिपूर्ण आयोजन है, विहिप के निर्देश और उसके बाद हुई राजनीतिक बहस ने सांस्कृतिक समारोहों में धार्मिक भागीदारी और समावेशिता पर देशव्यापी चर्चा को जन्म दिया है।