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गर्मी में हरे चारे की खेती: पशुपालकों के लिए फायदेमंद फसलें

गर्मी में हरे चारे की खेती हरियाणा के पशुपालकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। लोबिया, मक्का, ज्वार और बाजरा जैसी फसलों की खेती से न केवल पशुओं का पोषण होता है, बल्कि किसानों को अतिरिक्त आय भी प्राप्त होती है। यह लेख इन फसलों के लाभ और खेती के तरीकों पर प्रकाश डालता है, जिससे पशुपालक अपने व्यवसाय को और अधिक लाभकारी बना सकते हैं। जानें कैसे ये फसलें पशुओं के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन को बेहतर बनाती हैं।
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गर्मी में हरे चारे की खेती: पशुपालकों के लिए फायदेमंद फसलें

गर्मी में हरे चारे की खेती: पशुपालकों के लिए फायदेमंद फसलें

ग्रीन फॉडर: गर्मियों में हरा चारा, 4 फसलों से पशुओं का पोषण! हरियाणा के पशुपालकों के लिए एक अच्छी खबर है। गर्मियों में हरा चारा प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।


यह पशुओं के स्वास्थ्य और दूध उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। लेकिन, लोबिया, मक्का, ज्वार और बाजरा की खेती से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। ये फसलें पोषण से भरपूर हैं और किसान इन्हें बेचकर अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर सकते हैं। आइए, इन फसलों के लाभ और खेती के तरीकों के बारे में जानते हैं।


लोबिया: पोषण से भरपूर चारा


लोबिया गर्मियों में उगने वाली एक उत्कृष्ट चारा फसल है। यह प्रोटीन, विटामिन और खनिजों से समृद्ध होती है, जो पशुओं के विकास के लिए आवश्यक है।


लोबिया को 50-60 दिनों में काटने के लिए तैयार किया जा सकता है। यह कम पानी में भी उगती है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में मदद करती है। हरियाणा में लोबिया की खेती किसानों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। इसे बेचकर भी अच्छी आय प्राप्त की जा सकती है।


मक्का: दूध उत्पादन बढ़ाने वाला चारा


मक्का का हरा हिस्सा पशुओं के लिए एक बेहतरीन चारा है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर होते हैं, जो दुधारू पशुओं की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।


25-30 डिग्री सेल्सियस के तापमान में मक्का की खेती करना आसान है। यह 60-70 दिनों में चारे के लिए तैयार हो जाती है। हरियाणा में मक्का दूध उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती है और पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी सुधारती है।


ज्वार: सूखा सहन करने वाली फसल


ज्वार गर्मी और कम पानी में भी उगने वाली फसल है। यह सूखे क्षेत्रों में लाभकारी होती है। इसके पत्ते पोषण से भरपूर होते हैं, जो पशुओं के पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं।


ज्वार को सीधे काटकर खिलाया जा सकता है या साइलो विधि से लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है। हरियाणा में ज्वार पशुपालकों के लिए एक उपयोगी फसल है। यह पशुओं को ताकत प्रदान करती है।


बाजरा: दोहरा लाभ देने वाली फसल


बाजरा गर्मियों में तेजी से बढ़ने वाली फसल है। यह सूखे और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में अच्छी उपज देती है। इसका हरा हिस्सा चारे के लिए उत्कृष्ट है।


बाजरे के बीज बाजार में अच्छे दामों पर बिकते हैं। यह ऊर्जा और फाइबर का एक अच्छा स्रोत है और मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाता है। हरियाणा में बाजरा किसानों को दोहरा लाभ प्रदान करता है। यह पशुओं और आय दोनों के लिए फायदेमंद है।


किसानों के लिए आय का अवसर


इन चारा फसलों से गर्मियों में कमी नहीं आएगी। हरियाणा में हरे चारे की खेती किसानों को अतिरिक्त आय का अवसर प्रदान करती है।


लोबिया, मक्का, ज्वार और बाजरा का अतिरिक्त उत्पादन बेचा जा सकता है। सरकार और कृषि विभाग बीज, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं। वैज्ञानिक खेती से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। पशुओं का स्वास्थ्य और दूध उत्पादन बेहतर होगा। हरियाणा के पशुपालक इस अवसर का लाभ उठाएं।