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गाजा में डॉक्टरों की भूख और भुखमरी की स्थिति

गाजा के नासर अस्पताल में डॉक्टरों की स्थिति अत्यंत गंभीर है। वे भूख के कारण केवल एक थाली चावल पर निर्भर हैं, जबकि बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। इस संकट के बीच, डॉक्टरों का समर्पण और उनकी शपथ मानवता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। जानें इस गंभीर स्थिति के बारे में और कैसे यह प्रभावित कर रहा है स्थानीय लोगों को।
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गाजा में डॉक्टरों की भूख और भुखमरी की स्थिति

गाजा के नासर अस्पताल में डॉक्टरों की कठिनाइयाँ

गाजा के नासर अस्पताल में कार्यरत डॉ. मोहम्मद साकेर ने बताया कि 24 घंटे की शिफ्ट के दौरान वह भूख के कारण बेहोश होने लगे। उन्होंने एक समाचार चैनल को बताया, “मेरे सहकर्मियों ने मुझे गिरने से पहले संभाला। उन्होंने मुझे IV तरल पदार्थ और चीनी दी।” उस समय उनके पास केवल एक विदेशी डॉक्टर का छोटा जूस का पैकेट था।


एक दिन में केवल एक थाली चावल

गाजा के चिकित्सक अब एक दिन में केवल एक थाली चावल पर निर्भर हैं, जबकि वे भूख से पीड़ित मरीजों का इलाज कर रहे हैं। डॉ. साकेर ने कहा, “हम शारीरिक रूप से थक चुके हैं। भूखे लोगों का इलाज कर रहे हैं। कमजोरों का इलाज कर रहे हैं।”


बच्चों पर भुखमरी का प्रभाव

नासर अस्पताल के शिशु वार्ड में बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। सीएनएन के अनुसार, “उनके चेहरे, रीढ़ और पसलियों की हड्डियाँ उभर रही हैं। उनके अंग नरम नूडल्स जैसे दिखते हैं।” दूध का फॉर्मूला दुर्लभ हो गया है, और माताएँ भोजन की कमी के कारण स्तनपान नहीं कर पा रही हैं। यासमीन अबू सुल्तान ने अपनी बेटी मोना को सिरिंज से दूध पिलाते हुए कहा, “उसे फल और सब्जियाँ चाहिए, लेकिन कुछ भी नहीं है।”


डॉक्टरों की मानसिक और शारीरिक स्थिति

अल-तहरीर अस्पताल के डॉ. अहमद अल-फर्रा ने बताया कि अधिकांश कर्मचारी अब अवसाद, कमजोरी, एकाग्रता की कमी और स्मृति हानि से जूझ रहे हैं। उन्होंने एक बच्ची का जिक्र किया, जिसने अपनी माँ से पूछा, “क्या स्वर्ग में केले हैं?” बच्ची ने कहा, “तो चलो शहीद हो जाएं ताकि मैं केले खा सकूं और ठीक हो जाऊं।” डॉ. अल-फर्रा ने कहा, “क्या आप सोच सकते हैं कि एक बच्चा भोजन के लिए मरने की इच्छा रखता है?”


भुखमरी से प्रभावित 1000 लोग

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, मई से अब तक 1,000 से अधिक फलस्तीनी सहायता प्राप्त करने की कोशिश में मारे गए हैं। सहायता काफिले लूटे जा रहे हैं, और भोजन की कीमतें आसमान छू रही हैं। डॉ. साकेर ने बताया कि दो किलो आटे की कीमत 7,953 रुपये है। डॉ. फादेल नईम ने कहा, “शांतिप्रिय फलस्तीनी लोगों को सामूहिक रूप से दंडित किया जा रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप को कड़ा रुख अपनाना चाहिए।”


डॉक्टरों का समर्पण

डॉ. साकेर, जो तीन महीने से अपने परिवार से दूर हैं, ने कहा, “यह पेशा मानवता में निहित है। किसी भी परिस्थिति में हम अपनी शपथ को नहीं छोड़ सकते।”