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गाजा में पार्ले-जी बिस्किट की कीमतें आसमान छू रही हैं: युद्ध और खाद्य संकट का असर

गाजा में चल रहे युद्ध और खाद्य संकट ने पार्ले-जी बिस्किट की कीमतों को ₹2,300 तक पहुंचा दिया है। एक वायरल सोशल मीडिया पोस्ट में मोहम्मद जवाद ने अपनी बेटी को यह बिस्किट खरीदते हुए दिखाया, जिसकी कीमत सामान्य से 460 गुना अधिक है। इस स्थिति ने भारतीय उपयोगकर्ताओं को सरकार और पार्ले से मदद की अपील करने पर मजबूर कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, गाजा में बच्चों में कुपोषण की दर भी तेजी से बढ़ रही है। जानें इस संकट के पीछे की सच्चाई।
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गाजा में पार्ले-जी बिस्किट की कीमतें आसमान छू रही हैं: युद्ध और खाद्य संकट का असर

गाजा में जीवन की कठिनाइयाँ

गाजा में चल रहे युद्ध और खाद्य संकट ने लोगों के जीवन को बेहद कठिन बना दिया है। भारतीय बिस्किट ब्रांड पार्ले-जी की कीमतें वहां आसमान छू रही हैं। जो बिस्किट भारत में सामान्यतः ₹5 में मिलती है, वह गाजा में लगभग ₹2,300 (24 यूरो) में बिक रही है। यह कीमत सामान्य से 460 गुना अधिक है, जो युद्ध के कारण उत्पन्न गंभीर खाद्य संकट और आपूर्ति श्रृंखला की विफलता को दर्शाती है।


सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो

यह चौंकाने वाली जानकारी एक वायरल सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से सामने आई, जिसमें गाजा के निवासी मोहम्मद जवाद ने अपनी बेटी रफीफ को पार्ले-जी का पैकेट देते हुए एक वीडियो साझा किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने यह बिस्किट €24 (लगभग ₹2,342) में खरीदी, जबकि इसकी सामान्य कीमत ₹5 से ₹100 के बीच होती है। जवाद ने कहा कि भले ही कीमत €1.5 से बढ़कर €24 हो गई, लेकिन वह अपनी बेटी को उसकी पसंदीदा चीज़ से वंचित नहीं कर सकते।




सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी, और भारतीय उपयोगकर्ताओं ने सरकार और पार्ले कंपनी से मदद की अपील की। कुछ उपयोगकर्ताओं ने आरोप लगाया कि भारत से भेजी गई खाद्य सहायता को हमास द्वारा कब्जा कर लिया जाता है और काले बाजार में बेचा जाता है। जवाद ने इन आरोपों का समर्थन करते हुए कहा कि कुछ लोग सोचते हैं कि गाजा के लोगों के लिए आने वाली सहायता उचित रूप से वितरित की जाती है, लेकिन सच यह है कि कब्जे ने कई एजेंटों और चोरों को भर्ती किया है जो इस सहायता को चुराकर बाजार में ऊंचे दामों पर बेचते हैं।


कुपोषण की बढ़ती दर

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, गाजा में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में तीव्र कुपोषण की दर फरवरी से तीन गुना बढ़ गई है। लगभग 50,000 बच्चों की जांच के बाद, 5.8 प्रतिशत को तीव्र कुपोषण का शिकार पाया गया, जो कुछ सप्ताह पहले की तुलना में अधिक है।




खाद्य संकट का मानवीय प्रभाव

गाजा में खाद्य संकट और काले बाजार के कारण, पार्ले-जी जैसे सामान्य उत्पाद भी विलासिता की वस्तु बन गए हैं। यह स्थिति युद्ध के मानवीय प्रभाव और सहायता वितरण की विफलता को उजागर करती है।