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गाजियाबाद के वकील ने 5 रुपये के लिए 23 महीने तक लड़ी कानूनी लड़ाई

गाजियाबाद के एक वकील ने बस टिकट के 5 रुपये वापस पाने के लिए 23 महीने तक कानूनी लड़ाई लड़ी। उपभोक्ता फोरम ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए न केवल 5 रुपये लौटाने का आदेश दिया, बल्कि कंपनी पर 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह मामला उन उपभोक्ताओं के लिए प्रेरणा है जो छोटी रकम के लिए अपनी लड़ाई छोड़ देते हैं। जानें इस अद्वितीय कानूनी लड़ाई के बारे में और कैसे वकील ने अपने हक के लिए संघर्ष किया।
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गाजियाबाद के वकील ने 5 रुपये के लिए 23 महीने तक लड़ी कानूनी लड़ाई

गाजियाबाद के वकील की अद्वितीय कानूनी लड़ाई

गाजियाबाद: "ग्राहक भगवान होता है" और "हक के लिए लड़ना चाहिए" जैसे कहावतों को एक वकील ने सच साबित कर दिया है। उन्होंने बस टिकट के केवल 5 रुपये वापस पाने के लिए ऑनलाइन बस एग्रीगेटर 'रेड बस' के खिलाफ 23 महीने तक एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। अंततः, उपभोक्ता फोरम ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए न केवल 5 रुपये लौटाने का आदेश दिया, बल्कि कंपनी पर 5000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।


यह दिलचस्प मामला गाजियाबाद के गोविंदपुरम निवासी अधिवक्ता नरेश कुमार से संबंधित है। उन्होंने 17 अगस्त, 2023 को 'रेड बस' के माध्यम से दिल्ली के आनंद विहार से भिवाड़ी (राजस्थान) जाने के लिए राजस्थान रोडवेज की एक बस का टिकट 97 रुपये में बुक किया था। टिकट पर केवल 'दिल्ली' लिखा होने के कारण उन्हें भ्रमित किया गया। जब उन्होंने कस्टमर केयर से संपर्क किया, तो उन्हें आश्वासन दिया गया कि बस आनंद विहार से मिलेगी।


अगले दिन, जब नरेश कुमार सुबह 8 बजे आनंद विहार बस अड्डे पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि वहां से भिवाड़ी के लिए कोई बस नहीं चलती। बस न मिलने से उन्हें मानसिक परेशानी और आघात का सामना करना पड़ा।


शिकायत के बाद, रेड बस ने नरेश कुमार को टिकट के 92 रुपये वापस कर दिए, लेकिन 5 रुपये नहीं लौटाए। अपने हक के लिए और हुई परेशानी के हर्जाने के लिए, नरेश कुमार ने अक्टूबर 2023 में जिला उपभोक्ता फोरम में मामला दायर किया। इस मामले में रेड बस ने कोई जवाब नहीं दिया, जबकि राजस्थान परिवहन निगम ने कहा कि रेड बस एक थर्ड-पार्टी ऐप है और सही जानकारी देना उसी की जिम्मेदारी है।


करीब 23 महीने की इस कानूनी लड़ाई के बाद, आयोग के अध्यक्ष प्रवीण कुमार जैन ने रेड बस को "सेवा में कमी" और "अनुचित व्यापार" का दोषी पाया। फोरम ने रेड बस को आदेश दिया है कि वह 45 दिनों के भीतर शिकायतकर्ता को बकाया 5 रुपये के साथ-साथ मुकदमे में खर्च हुए 5000 रुपये का भुगतान करे। यह फैसला उन सभी उपभोक्ताओं के लिए एक प्रेरणा है जो छोटी रकम के लिए अपनी लड़ाई छोड़ देते हैं।