गाजियाबाद में फर्जी दूतावास का भंडाफोड़: हर्षवर्धन जैन की कहानी

गाजियाबाद में हाई-प्रोफाइल धोखाधड़ी का खुलासा
उत्तर प्रदेश की विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने गाजियाबाद में एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों को भी चौंका दिया है। कवि नगर में एक भव्य किराए के बंगले से हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार किया गया है, जो 'राजदूत' की तरह जीवन जी रहा था और 'वेस्टआर्कटिका' नामक एक काल्पनिक माइक्रोनेशन के नाम पर फर्जी दूतावास चला रहा था।
फर्जी दूतावास का भव्य रूप
47 वर्षीय हर्षवर्धन जैन ने अपने बंगले को पूरी तरह से 'दूतावास' के रूप में सजाया था, जिसमें विदेशी झंडे, नीली डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट वाली लग्जरी कारें और नकली अंतरराष्ट्रीय पहचान के प्रमाण शामिल थे। एसटीएफ की छापेमारी में जाली दस्तावेज, बड़ी मात्रा में नकदी और फर्जी राजनयिक सजावट के साथ एक जटिल रैकेट का खुलासा हुआ।
कैसे बना फर्जी राजदूत?
हर्षवर्धन जैन ने खुद को 'His Excellency (H.E.) HV Jain' के रूप में प्रस्तुत किया, जबकि उसने 'वेस्टआर्कटिका' नामक काल्पनिक माइक्रोनेशन का झूठा प्रतिनिधित्व किया। उसके बंगले के बाहर दो नाम प्लेटें थीं, जिनमें से एक पर 'Sushil Anoop Singh' और दूसरी पर 'H.V. Jain (H.E.)' लिखा था। उसने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ फोटोशॉप की गई तस्वीरें साझा कर लोगों को प्रभावित किया।
ठगी का नेटवर्क: लंदन से दुबई तक
हर्षवर्धन जैन ने लंदन कॉलेज ऑफ एप्लाइड साइंस और गाजियाबाद के ITS कॉलेज से MBA की डिग्री प्राप्त की थी। उसके पिता राजस्थान में संगमरमर की खदानें चलाते थे, लेकिन उनके निधन के बाद जैन का व्यवसाय गिरने लगा। इसी दौरान उसकी मुलाकात विवादित तांत्रिक चंद्रास्वामी से हुई, जिसने उसे लंदन भेजने में मदद की।
फर्जी डिप्लोमैसी और ठगी का खेल
एसटीएफ के अनुसार, जैन ने खुद को वेस्टआर्कटिका, सेबोर्गा और पोल्बिया लोडोनिया जैसे फर्जी माइक्रोनेशनों का राजदूत और सलाहकार घोषित किया। उसने कंपनियों और युवाओं को विदेशों में नौकरी और व्यापार में मदद का झांसा देकर लाखों रुपये ठगे। उसके बंगले में विदेशी झंडे लहराते थे और फर्जी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट वाली कारें खड़ी रहती थीं।
एसटीएफ की छापेमारी में क्या मिला?
22 जुलाई की रात करीब 11:30 बजे एसटीएफ ने कवि नगर स्थित बंगले पर छापा मारा। छानबीन के दौरान जो बरामद हुआ, उसने पूरे रैकेट की परतें खोल दीं:
- ₹44.7 लाख नकद
- विदेशी करेंसी
- 4 लग्जरी कारें फर्जी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट्स के साथ
- 12 फर्जी राजनयिक पासपोर्ट
- 20 नकली डिप्लोमैटिक लाइसेंस प्लेट्स
- 34 जाली सीलें
- 2 फर्जी पैन कार्ड
- फर्जी प्रेस और राजनयिक ID कार्ड
- एक लैपटॉप, मोबाइल फोन और महंगी घड़ियां
फर्जी डिप्लोमैसी की आड़ में ठगी
2012 से जैन ने खुद को विभिन्न फर्जी राष्ट्रों से जोड़कर अपनी राजनयिक छवि बनानी शुरू कर दी। उसने 'Ambassador' और 'Advisor' जैसे टाइटल्स का उपयोग कर लोगों को नौकरी और व्यापार में मदद का भरोसा दिलाया। लेकिन हकीकत में ये सब सिर्फ एक झूठ का महल था।
कानूनी कार्रवाई
हर्षवर्धन जैन के खिलाफ कवि नगर थाने में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई धाराओं के तहत धोखाधड़ी, जालसाजी और पहचान की झूठी प्रस्तुति जैसे गंभीर आरोपों में FIR दर्ज की गई है।