गिग इकॉनमी में श्रमिकों का शोषण: राघव चड्डा की पहल
गिग इकॉनमी का बढ़ता संकट
नई दिल्ली: भारत में गिग इकॉनमी तेजी से विकसित हो रही है। लाखों डिलीवरी एजेंट दिन-रात काम करते हैं, लेकिन उनकी मेहनत के बावजूद उनकी आय और कार्य की स्थिति अक्सर संतोषजनक नहीं होती। हाल ही में, ब्लिंकिट के एक डिलीवरी पार्टनर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें उसने बताया कि उसने लगभग 15 घंटे लगातार काम किया, 50 किलोमीटर से अधिक यात्रा की और 28 डिलीवरी पूरी की, लेकिन उसकी कुल कमाई केवल 763 रुपये रही। यह वीडियो पहले सितंबर 2025 में साझा किया गया था, लेकिन दिसंबर में फिर से वायरल होने के बाद गिग श्रमिकों के शोषण पर चर्चा शुरू हो गई।
सांसद राघव चड्डा की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्डा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। उन्होंने X (पूर्व Twitter) पर वीडियो साझा करते हुए इसे 'ऐप्स और एल्गोरिदम के पीछे छिपा सिस्टेमेटिक शोषण' बताया। संसद के शीतकालीन सत्र में भी उन्होंने गिग श्रमिकों की कम मजदूरी, लंबे काम के घंटे और सामाजिक सुरक्षा की कमी का मुद्दा उठाया था.
डिलीवरी एजेंट के साथ राघव चड्डा की मुलाकात
सम्मान देने वाले नेता की छवि
इस संदर्भ में, राघव चड्डा ने डिलीवरी एजेंट हिमांशु थपलियाल को अपने दिल्ली स्थित आवास पर लंच के लिए आमंत्रित किया। यह मुलाकात 26-27 दिसंबर 2025 के आसपास हुई। थपलियाल ने अपने इंस्टाग्राम पर इस मुलाकात का वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने राघव चड्डा को मिलनसार और सम्मान देने वाला नेता बताया।
I invited Himanshu, a Blinkit delivery boy, over for lunch.
— Raghav Chadha (@raghav_chadha) December 27, 2025
Through his social media post, he had recently shared the harsh realities and miseries faced by riders/delivery boys.
We spoke at length about the high risks, long hours, low pay, and no safety net.
These voices deserve… pic.twitter.com/pTiDOLtr3m
डिलीवरी पार्टनर्स की समस्याएं
वेतन और सुरक्षा की आवश्यकता
इस मुलाकात के दौरान, थपलियाल ने डिलीवरी पार्टनर्स की रोजमर्रा की समस्याओं को उजागर किया। राघव चड्डा ने भी वीडियो साझा करते हुए कहा कि इन आवाजों को केवल संसद में नहीं, बल्कि बाहर भी सुना जाना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि भारत की डिजिटल और गिग इकॉनमी इन श्रमिकों की मेहनत पर निर्भर करती है और उन्हें उचित वेतन, सम्मान और सुरक्षा मिलना अत्यंत आवश्यक है।
उचित मुआवजे की मांग
विशेषज्ञों और श्रम संगठनों का मानना है कि प्लेटफॉर्म आधारित कंपनियों के लिए न्यूनतम मजदूरी, निर्धारित कार्य घंटे और सामाजिक सुरक्षा के सख्त नियम लागू किए जाने चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि डिजिटल और गिग श्रमिकों का शोषण न हो और उन्हें उनकी मेहनत के अनुसार उचित मुआवजा और सुरक्षा मिले। यह मामला दर्शाता है कि भारत में गिग श्रमिकों की समस्याओं पर गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि उनकी आवाज और अधिकार सुनिश्चित किए जा सकें।
