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गुजरात में पुल हादसा: प्रशासन की लापरवाही से हुई जनहानि

गुजरात के वडोदरा और आणंद को जोड़ने वाला गंभीरा पुल एक गंभीर हादसे का शिकार हो गया, जिसमें 10 लोगों की जान चली गई। यह पुल लंबे समय से जर्जर स्थिति में था, और स्थानीय निवासियों की शिकायतों के बावजूद प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। हादसे के बाद बचाव कार्य शुरू किया गया, लेकिन कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। राजनीतिक हलचल के बीच, सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। क्या यह घटना प्रशासनिक लापरवाही का एक और उदाहरण है?
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गुजरात में पुल हादसा: प्रशासन की लापरवाही से हुई जनहानि

गुजरात पुल दुर्घटना की भयावहता

गुजरात पुल हादसा: बुधवार की सुबह, वडोदरा और आणंद को जोड़ने वाला गंभीरा पुल एक गंभीर दुर्घटना का शिकार हो गया, जब यह 43 साल पुराना ढांचा अचानक दो हिस्सों में टूट गया। इस घटना में अब तक 10 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि कई अन्य घायल हुए हैं। महिसागर नदी पर स्थित यह पुल लंबे समय से जर्जर अवस्था में था, और स्थानीय निवासियों की शिकायतों के बावजूद प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे यह भयानक हादसा हुआ। यह घटना न केवल तकनीकी विफलता है, बल्कि सरकारी लापरवाही और भ्रष्टाचार का भी परिणाम है। स्थानीय लोग इसे 'सुसाइड ब्रिज' के नाम से भी जानते थे, और इसके बावजूद इसे यातायात के लिए खुला रखा गया, जिसके कारण यह दुखद घटना घटी।


प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल

गंभीरा पुल, जिसे 1985 में बनाया गया था, पिछले कई वर्षों से खराब स्थिति में था। स्थानीय लोगों ने इसकी स्थिति के बारे में कई बार प्रशासन को सूचित किया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। वडोदरा कलेक्टर डॉ. अनिल धामेलिया ने बताया, "अब तक 9 शव बरामद किए जा चुके हैं, और कई घायलों का इलाज एसएसजी हॉस्पिटल में चल रहा है।" लेकिन यह सवाल उठता है कि यदि समय पर मरम्मत या नए पुल का निर्माण किया गया होता, तो क्या यह त्रासदी टल सकती थी?


बचाव कार्य और चुनौतियाँ

जैसे ही हादसे की सूचना मिली, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया। नदी में कम पानी और कीचड़ के कारण रेस्क्यू ऑपरेशन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। फिलहाल, पुलिस और आपदा प्रतिक्रिया दल राहत अभियान चला रहे हैं। अब तक जिन मृतकों की पहचान हुई है, उनमें वैदिक पडियार (45), नैतिक पडियार (45), हसमुख परमार (32), रमेश पडियार (32), वखासिंह जाधव (26) और प्रवीण जाधव (26) शामिल हैं।


राजनीतिक हलचल और जांच के आदेश

इस घटना ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस नेता अमित चावड़ा ने सोशल मीडिया पर लिखा, "आणंद और वडोदरा जिलों को जोड़ने वाला मुख्य गंभीरा पुल टूट गया है। कई वाहन नदी में गिर गए हैं, जिससे बड़ी जनहानि हुई है। सरकारी अधिकारियों को तुरंत बचाव कार्य शुरू करना चाहिए और यातायात के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए।" गुजरात सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या जांच के बाद जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी?


भविष्य के लिए सबक

यह हादसा गुजरात में 2022 के मोरबी पुल हादसे की याद दिलाता है, जिसमें लगभग 135 लोगों की जान गई थी। उस समय भी प्रशासनिक लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने ढांचों की नियमित जांच और मरम्मत की कमी के कारण ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं। क्या सरकार अब भी सबक लेने को तैयार नहीं है?