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गुजरात में बड़े भूमि घोटाले का पर्दाफाश, ED ने की छापेमारी

गुजरात में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक बड़े गैर-कृषि भूमि घोटाले के खिलाफ कार्रवाई की है, जिसमें डिप्टी मामलातदार की गिरफ्तारी और संगठित भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। ED ने सुरेंद्रनगर में कई ठिकानों पर छापे मारे, जहां से बड़ी मात्रा में नकदी बरामद की गई। जांच में रिश्वतखोरी और बिचौलियों की भूमिका सामने आई है। इस मामले में आगे की जांच जारी है, और प्रशासनिक हलकों में चर्चा है कि और बड़े नाम भी सामने आ सकते हैं।
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गुजरात में बड़े भूमि घोटाले का पर्दाफाश, ED ने की छापेमारी

गुजरात में प्रशासनिक हलचल


नई दिल्ली: गुजरात की सरकारी मशीनरी में हड़कंप मच गया जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सुरेंद्रनगर में एक बड़े गैर-कृषि भूमि घोटाले के खिलाफ कार्रवाई की। ED ने कई स्थानों पर एक साथ छापे मारकर डिप्टी मामलातदार को नकदी के साथ गिरफ्तार किया। जांच में रिश्वतखोरी, बिचौलियों की भूमिका और फाइलों के दुरुपयोग का एक सुनियोजित तंत्र उजागर हुआ है। यह मामला केवल एक अधिकारी तक सीमित नहीं है।


ED की छापेमारी का विवरण

23 दिसंबर को, ED ने सुरेंद्रनगर में जिला प्रशासन से जुड़े विभिन्न स्थानों पर एक साथ छापे मारे। कलेक्टर और अन्य उच्च अधिकारियों के आवासों की तलाशी ली गई, जिससे प्रशासनिक गलियारों में अफरा-तफरी मच गई। जांच का मुख्य फोकस करोड़ों रुपये के गैर-कृषि भूमि मंजूरी से संबंधित मामलों पर था, जहां लंबे समय से अनियमितताओं की शिकायतें आ रही थीं।


डिप्टी मामलातदार की गिरफ्तारी

डिप्टी मामलातदार चंद्रसिंह मोरी की गिरफ्तारी के बाद, ED ने उनके घर से 67.50 लाख रुपये नकद बरामद किए। एजेंसी का मानना है कि यह राशि भूमि की NA मंजूरी के लिए ली गई रिश्वत से संबंधित है। 24 दिसंबर को मोरी को अहमदाबाद ग्रामीण स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया, जहां ED ने रिमांड की मांग की।


भ्रष्टाचार का संगठित तंत्र

ED की रिमांड अर्जी में यह खुलासा हुआ है कि भूमि आवेदनों को तेजी से निपटाने के लिए 'स्पीड मनी' ली जाती थी। रिश्वत की राशि पहले से तय होती थी और प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से वसूली की जाती थी। यह धन बिचौलियों और एजेंटों के माध्यम से अधिकारियों तक पहुंचाया जाता था। जांच एजेंसी ने इसे योजनाबद्ध और संगठित भ्रष्टाचार करार दिया है।


कलेक्टर कार्यालय की भूमिका

छापेमारी के दौरान ED को कलेक्टर के बंगले से लगभग 100 सरकारी फाइलें मिलीं। इन फाइलों को घर ले जाने पर सवाल उठाए गए हैं। ED के सूत्रों के अनुसार, इन दस्तावेजों की जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि NA मंजूरी में किन नियमों का उल्लंघन किया गया और किन लोगों को अवैध लाभ पहुंचाया गया।


कोर्ट में सुनवाई और आगे की कार्रवाई

मोरी के वकील ने गिरफ्तारी और तलाशी प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है। उन्होंने सर्च वारंट और नकदी के स्रोत पर सवाल उठाए। हालांकि, कोर्ट ने ED को 1 जनवरी तक रिमांड दे दी है। इस बीच, प्रशासनिक हलकों में चर्चा है कि जांच का दायरा और बढ़ सकता है और आने वाले दिनों में और बड़े नाम सामने आ सकते हैं।