गुरुग्राम में बारिश से बाढ़ जैसी स्थिति, जलभराव की समस्या गंभीर

गुरुग्राम में बारिश के बाद बाढ़ जैसी स्थिति
(गुरुग्राम समाचार) गुरुग्राम। गुरुवार को हुई भारी बारिश ने शहर में जलभराव की गंभीर स्थिति उत्पन्न कर दी, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे बाढ़ आ गई हो। कई क्षेत्रों में जलभराव ने यह स्पष्ट कर दिया कि स्थानीय स्तर पर इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। अत्यधिक जलभराव ने यह दर्शाया कि केवल खानापूर्ति की जा रही है। यदि सही तरीके से काम किया गया होता, तो नालों की सफाई और जल निकासी के लिए स्थायी उपाय किए गए होते। यह समस्या नई नहीं है, बल्कि वर्षों से बनी हुई है।
वाहनों में फंसे लोग और जलभराव की स्थिति
गुरुग्राम में पिछले कई वर्षों से यह समस्या बनी हुई है, और अब तो लोग इसे अपनी किस्मत मानने लगे हैं। लोग जलभराव में परेशान हैं; कुछ दुपहिया वाहन में फंसे हैं, तो कुछ की कारें पानी में डूबी हुई हैं। टूटी सड़कों और गहरे गड्ढों ने स्थिति को और भी खराब कर दिया है। स्थानीय विकास कार्यों में भ्रष्टाचार की बातें भी उठ रही हैं। यह सच है कि हाल ही में बनी सड़कें भी इस बारिश को सहन नहीं कर पाईं।
जल निकासी की व्यवस्था में कमी
बसई गांव के नए फ्लाईओवर से लेकर ईएसआई अस्पताल सेक्टर-9 तक और सेक्टर-4/7 चौक से लेकर सेक्टर-7 एक्सटेंशन में जलभराव की स्थिति इतनी गंभीर थी कि वाहन रेंगते हुए निकल रहे थे। लोग चिंतित थे कि क्या वे किनारे लग पाएंगे। द्वारका एक्सप्रेस-वे का फ्लाईओवर भी बारिश में झरने की तरह बह रहा था। यह दर्शाता है कि यहां भी लापरवाही हुई है।
जल निकासी के लिए कोई ठोस प्रबंध नहीं दिख रहे हैं। नगर निगम पंप लगाने का दावा कर रहा है, लेकिन ये पंप केवल कुछ स्थानों पर ही दिखाई दे रहे हैं और जलभराव को नियंत्रित करने में असफल हैं। जहां पंप लगे हैं, वहां भी पानी की गहराई बनी हुई है।
सरकार को बजट के उपयोग पर ध्यान देना चाहिए
मॉनसून के लिए अच्छा खासा बजट निर्धारित किया जाता है, लेकिन उस बजट का सही उपयोग नहीं हो रहा है। यह सवाल उठता है कि अधिकारी क्या कर रहे हैं और क्यों उन्हें यहां की भौगोलिक स्थिति के अनुसार काम करने में रुचि नहीं है। इंजीनियरों को इस समस्या का समाधान करने के लिए तकनीकी उपाय करने चाहिए। आखिरकार, जनता के टैक्स का पैसा किस लिए खर्च किया जा रहा है? सरकार को इस बजट के उपयोग पर ध्यान देना चाहिए।