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गुरुग्राम में साइबर ठगी: बैंक कर्मचारियों की गिरफ्तारी से खुलासा

गुरुग्राम में एक चौंकाने वाली साइबर ठगी की घटना में दो बैंक कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है। इन कर्मचारियों ने एक व्यक्ति के बैंक खाते का मोबाइल नंबर बदलकर लाखों रुपये की धोखाधड़ी की। यह मामला निवेश के नाम पर ठगी का हिस्सा था, जिसने बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया और अन्य ठगी के मामलों का भी खुलासा किया। इस घटना ने साइबर सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर किया है।
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गुरुग्राम में साइबर ठगी: बैंक कर्मचारियों की गिरफ्तारी से खुलासा

गुरुग्राम में साइबर ठगी का मामला

गुरुग्राम में साइबर ठगी: बैंक कर्मचारियों ने मोबाइल नंबर बदला, लाखों की ठगी की: हाल ही में गुरुग्राम में एक चौंकाने वाला साइबर ठगी का मामला सामने आया है। पुलिस ने दो बैंक कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने 50-50 हजार रुपये लेकर एक व्यक्ति के बैंक खाते का मोबाइल नंबर बदलकर लाखों रुपये की धोखाधड़ी की।


यह घटना निवेश के नाम पर मुनाफा कमाने के लालच में लोगों को ठगने की एक साजिश का हिस्सा थी। इस मामले ने बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। आइए, इस मामले की पूरी जानकारी पर गौर करें।


ठगी का तरीका और बैंक कर्मचारियों की संलिप्तता

ठगी का जाल और बैंक कर्मचारियों की भूमिका: 16 मार्च 2025 को गुरुग्राम के साइबर थाना वेस्ट में एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई कि एक ऐप के माध्यम से उसे निवेश का लालच देकर लाखों रुपये की ठगी की गई। जांच में पता चला कि उत्तर प्रदेश के कानपुर के अंकित शर्मा और बुलंदशहर के जीतू उर्फ जितेंद्र ने इस ठगी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


अंकित, जो बंधन बैंक की कानपुर शाखा में कस्टमर रिलेशन ऑफिसर है, ने ठगी की रकम के लिए बैंक खाते का रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर बदला। वहीं, जीतू, जो बैंक का फील्ड ऑफिसर है, ने इस कार्य के लिए नया नंबर उपलब्ध कराया। दोनों को इस काम के लिए 50-50 हजार रुपये मिले।


पुलिस की कार्रवाई और अन्य खुलासे

पुलिस की त्वरित कार्रवाई: गुरुग्राम पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान आरोपियों ने एक अन्य साइबर ठगी के मामले का भी खुलासा किया, जो गुरुग्राम में हुआ था। पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।


यह पहला मामला नहीं है; पुलिस अब तक 35 बैंक कर्मचारियों को साइबर ठगी के मामलों में गिरफ्तार कर चुकी है। यह घटना बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से होने वाली ठगी की गंभीरता को दर्शाती है। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।


भ्रष्टाचार और पुलिस की सख्ती

रिश्वत का मामला: इसके अलावा, एक अन्य मामले में गुरुग्राम पुलिस ने एक हेड कांस्टेबल को 10,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। यह कांस्टेबल एक झगड़े का समझौता कराने के लिए रिश्वत मांग रहा था।


गुरुग्राम पुलिस की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार और साइबर ठगी के खिलाफ सख्त रुख को दर्शाती है। इन मामलों ने लोगों के बीच बैंकिंग और पुलिस सिस्टम पर भरोसे को लेकर चिंता बढ़ा दी है। लोग अब मांग कर रहे हैं कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाए जाएं।


साइबर सुरक्षा की आवश्यकता

गुरुग्राम में साइबर ठगी के इन मामलों ने साइबर सुरक्षा और प्रशासनिक जवाबदेही की आवश्यकता को उजागर किया है। लोगों को अब सतर्क रहने और संदिग्ध निवेश योजनाओं से बचने की सलाह दी जा रही है।