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गुलाम जम्मू-कश्मीर में हिंसा: नागरिकों की आवाज़ दबाने की कोशिशें जारी

गुलाम जम्मू-कश्मीर में हाल के दिनों में हिंसक प्रदर्शनों की लहर देखी जा रही है, जहां स्थानीय नागरिक अपने मौलिक अधिकारों की मांग कर रहे हैं। पाकिस्तान सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ उठी इस आवाज़ में अब तक 12 लोगों की जान जा चुकी है। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें हैं, जिनमें राजनीतिक प्रतिनिधित्व को लेकर गंभीर चिंताएं शामिल हैं। पाकिस्तानी सेना की बर्बरता और नागरिकों पर हवाई हमले ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। जानें इस संघर्ष की पूरी कहानी और इसके पीछे के कारण।
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गुलाम जम्मू-कश्मीर में हिंसा: नागरिकों की आवाज़ दबाने की कोशिशें जारी

गुलाम जम्मू-कश्मीर में बढ़ते विरोध प्रदर्शन

PoJK में विरोध प्रदर्शन 2025: गुलाम जम्मू-कश्मीर (POJK) एक बार फिर से हिंसा और असंतोष का शिकार हो रहा है। पाकिस्तान सरकार और सेना की दमनकारी नीतियों के खिलाफ पिछले तीन दिनों से क्षेत्र में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। बुधवार को प्रदर्शनकारियों और पाकिस्तानी सुरक्षाबलों के बीच झड़प में 8 लोगों की जान चली गई, जिससे मरने वालों की कुल संख्या 12 हो गई है। मृतकों में चार बाग जिले के धीरकोट, दो मुजफ्फराबाद और दो मीरपुर से हैं।


विरोध का कारण: मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
यह विरोध 'अवामी एक्शन कमेटी' के नेतृत्व में हो रहा है, जिसमें स्थानीय नागरिक अपने मौलिक अधिकारों की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार ने लंबे समय से गुलाम कश्मीर के लोगों को केवल शोषण और वंचना का सामना कराया है। लोगों का आक्रोश इतना बढ़ गया है कि पिछले 72 घंटों से दुकानें, बाजार और परिवहन सेवाएं पूरी तरह से बंद हैं।


बुधवार को जब प्रदर्शनकारियों को राजधानी मुजफ्फराबाद की ओर बढ़ने से रोकने के लिए पाकिस्तानी सेना ने पुलों पर बड़े-बड़े शिपिंग कंटेनर रख दिए, तब प्रदर्शनकारियों ने इन कंटेनरों को नदी में फेंक दिया।


प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें
प्रदर्शनकारियों की कुल 38 मांगें हैं, जिनमें से एक प्रमुख मांग यह है कि गुलाम जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पाकिस्तान में रह रहे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए रिजर्व 12 सीटों को समाप्त किया जाए। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इससे उनकी राजनीतिक आवाज दबाई जाती है और प्रतिनिधित्व कमजोर होता है।


सेना की बर्बर कार्रवाई
पाकिस्तानी सेना ने इन प्रदर्शनों को कुचलने के लिए बर्बरता की हर सीमा पार कर दी है। एक समाचार पोर्टल के अनुसार, पंजाब प्रांत और इस्लामाबाद से हजारों सैनिकों को कश्मीर क्षेत्र में तैनात किया गया है। इसके साथ ही इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं, जिससे बाहरी दुनिया तक सच्चाई नहीं पहुंच सके।


नागरिकों पर हवाई हमले
पाकिस्तानी सेना की क्रूरता यहीं नहीं रुकी। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के एक गांव में पाकिस्तानी वायुसेना के J-17 लड़ाकू विमानों द्वारा किए गए हमलों में 30 नागरिकों की मौत हो गई। इन हमलों में चीन निर्मित LS-6 लेजर-गाइडेड बमों का इस्तेमाल किया गया। यह हमला कथित रूप से आतंकवाद के खिलाफ था, लेकिन आम नागरिक ही इसका शिकार बने।

आजादी, अधिकार और इंसानियत के लिए लड़ाई
गुलाम जम्मू-कश्मीर में मौजूदा हालात पाकिस्तान के दोहरे चरित्र को उजागर करते हैं। एक ओर वह कश्मीर को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर झूठी सहानुभूति जताता है, वहीं दूसरी ओर अपने कब्जे वाले हिस्से में निर्दोष नागरिकों की आवाज को गोली और बम से दबाता है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि गुलाम कश्मीर के लोगों को आज भी आजादी, अधिकार और इंसानियत के लिए लड़ना पड़ रहा है और उनकी आवाज़ अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक पहुंचनी चाहिए।