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गेरुआ गांव में मानसिक उत्पीड़न का मामला: युवक की गुमशुदगी के पोस्टर लगे

चतरा जिले के गेरुआ गांव में मोहम्मद इरशाद को अपनी ही गुमशुदगी के पोस्टर देखकर मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। कुछ युवकों ने उन्हें पिछले दो महीनों से परेशान किया है, जिससे इरशाद ने खुद को घर में कैद कर लिया है। इस मामले ने स्थानीय पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। जानें इस घटना की पूरी कहानी और इसके पीछे के कारण।
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गुमशुदगी के पोस्टर और मानसिक प्रताड़ना

चतरा जिले के गेरुआ गांव में एक युवक, मोहम्मद इरशाद, को अपनी ही गुमशुदगी के पोस्टर देखकर हैरानी हुई। गांव के कुछ शरारती युवकों ने उनकी तस्वीरें सार्वजनिक स्थलों पर चिपका दी थीं, जिसमें उन्हें 5 जुलाई से लापता बताया गया था। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई जब इरशाद को पिछले दो महीनों से विभिन्न तरीकों से परेशान किया जा रहा था।


जब इरशाद ने इन पोस्टरों को देखा, तो वे चौंक गए। यह सब कुछ मजाक के नाम पर किया गया था, लेकिन अब यह मानसिक उत्पीड़न में बदल चुका है। इरशाद ने बताया कि जब वे बाजार या नमाज के लिए घर से बाहर निकलते हैं, तो कुछ युवक उन्हें पत्थर मारते हैं और उनका मजाक उड़ाते हैं। इस उत्पीड़न के कारण उन्होंने खुद को घर में कैद कर लिया है।


इरशाद की पत्नी ने जब इन युवकों का विरोध किया, तो उन्होंने उसके साथ भी दुर्व्यवहार किया। मोहम्मद आदिल, छोटू, आज़ाद और सैफ जैसे युवकों पर आरोप है कि वे इरशाद को सार्वजनिक रूप से निशाना बनाते हैं। इस मामले ने स्थानीय पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। क्या ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे मामलों को हल्के में लिया जाता है? इरशाद ने थाने में आवेदन देकर स्पष्ट किया कि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ नहीं हैं और उन्हें इस उत्पीड़न से बचाया जाए।