गोपाल खेमका हत्या मामले में नए खुलासे: एक ही गैंग का हाथ

गोपाल खेमका हत्या मामले की जांच
पटना के व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या की जांच में नए पहलू सामने आ रहे हैं। घटना के 36 घंटे से अधिक समय बीत जाने के बावजूद, पुलिस ने अभी तक किसी को औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया है। हालांकि, छह संदिग्धों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है।
बेउर जेल में पुलिस की छापेमारी
शनिवार को, पटना पुलिस ने मोबाइल डेटा के आधार पर बेउर जेल में छापेमारी की। इस दौरान कई कुख्यात अपराधियों से पूछताछ की गई। पुलिस को कुछ संदिग्ध मोबाइल नंबर भी मिले हैं, जो कुख्यात अपराधी अजय वर्मा से जुड़े हो सकते हैं। अजय वर्मा पर पहले से ही जमीन विवाद, रंगदारी और हत्या के गंभीर आरोप हैं। उसे दस दिन पहले गिरफ्तार किया गया था और वह वर्तमान में बेउर जेल में है। पुलिस अब उसे रिमांड पर लेकर गहन पूछताछ करने की योजना बना रही है।
तीन हत्याओं का एक ही गैंग से संबंध
जांच में एक चौंकाने वाला तथ्य यह सामने आया है कि हाजीपुर में गुंजन खेमका की हत्या, पटना में गुंजन हत्याकांड के आरोपी अभिषेक उर्फ मस्तु की हत्या, और गोपाल खेमका की हत्या सभी एक ही गैंग से जुड़ी हो सकती हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, मास्टरमाइंड से लेकर शूटर तक सभी एक ही गिरोह से संबंधित हो सकते हैं। गुंजन खेमका की हत्या के मामले में गिरफ्तार चार लोगों में से मस्तु की हत्या हो चुकी है, जबकि अन्य तीन जमानत पर बाहर हैं। मस्तु की हत्या के बाद चार शूटर गिरफ्तार हुए थे, जिनका संबंध अजय वर्मा गैंग से बताया गया है।
एफआईआर और पुलिस की रणनीति
गोपाल खेमका के बेटे गौरव खेमका के बयान पर गांधी मैदान थाना में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस अब तक की पूछताछ और सबूतों के आधार पर बेउर जेल में बंद अजय वर्मा और उसके साथियों को रिमांड पर लेने की तैयारी कर रही है। गोपाल खेमका की हत्या एक साधारण आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि एक संगठित अपराध का हिस्सा प्रतीत होती है, जिसमें जमीनी रंजिश, व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा और पुरानी दुश्मनियों का योगदान हो सकता है। पटना पुलिस की चुनौती अब न केवल हत्यारों को पकड़ने की है, बल्कि इस संगठित अपराध के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने की भी है।