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गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री रवि नाइक का निधन, भाजपा को बड़ा झटका

गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रवि नाइक का निधन कार्डियक अरेस्ट के कारण हुआ। उनके निधन से गोवा की राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई है। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया। रवि नाइक ने अपने राजनीतिक करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं और गोवा की जनता के लिए ईमानदारी से कार्य किया। जानें उनके जीवन और राजनीतिक सफर के बारे में।
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गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री रवि नाइक का निधन, भाजपा को बड़ा झटका

रवि नाइक का निधन

पणजी: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री रवि नाइक का आज सुबह 79 वर्ष की आयु में कार्डियक अरेस्ट के कारण निधन हो गया। उनका निधन भाजपा और गोवा की राजनीति के लिए एक गंभीर झटका है, क्योंकि उन्होंने राज्य में लंबे समय तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे दो बार गोवा के मुख्यमंत्री रह चुके थे।


अस्पताल में निधन

सूत्रों के अनुसार, उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें पोंडा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। रवि नाइक के निधन से न केवल भाजपा, बल्कि पूरे गोवा में शोक की लहर फैल गई है।


मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने रवि नाइक को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में गोवा की जनता के लिए ईमानदारी से कार्य किया। उनके कार्यों का प्रभाव राज्य के प्रशासन और समाज पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने उनके सम्मान में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।


रवि नाइक का राजनीतिक सफर

रवि नाइक को भंडारी समाज के प्रमुख नेता के रूप में जाना जाता था। उन्होंने वंचित समुदायों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और गोवा में तीसरे जिले की मांग उठाने वाले पहले विधायक बने।


1991 में, रवि नाइक पहली बार गोवा के मुख्यमंत्री बने और लगभग 28 महीने तक इस पद पर रहे। उनके कार्यकाल में उन्होंने राज्य में बढ़ते अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की।


रवि नाइक की राजनीतिक यात्रा 1984 में पोंडा नगरपालिके के पार्षद के रूप में शुरू हुई। इसके बाद उन्होंने महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी से चुनाव लड़ा और विधायक बने। 1998 में, वे कांग्रेस के टिकट पर उत्तर गोवा से सांसद बने।


अपने लंबे राजनीतिक करियर में, उन्होंने कई बार पार्टी बदली। 2000 में भाजपा में शामिल होकर उपमुख्यमंत्री बने, लेकिन बाद में कांग्रेस में लौट आए। 2007 में कांग्रेस को सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और गृहमंत्री बने। 2021 में वे फिर से भाजपा में शामिल हुए और 2022 के विधानसभा चुनाव में पोंडा से भाजपा के टिकट पर जीतकर कैबिनेट मंत्री बने।