गौहाटी हाई कोर्ट ने दीमा हसाओ में निजी कंपनी को जमीन आवंटन पर जताई नाराजगी

गौहाटी हाई कोर्ट की सुनवाई
गुवाहाटी: असम के आदिवासी बहुल दीमा हसाओ जिले में एक निजी सीमेंट कंपनी को 3,000 बीघा (लगभग 1,000 एकड़) भूमि आवंटित करने के मामले में गौहाटी हाई कोर्ट ने गहरी चिंता और आश्चर्य व्यक्त किया है। 22 स्थानीय निवासियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए, अदालत ने तीखी टिप्पणी की, 'क्या हो रहा है? एक निजी कंपनी को 3,000 बीघा भूमि दी जा रही है... क्या पूरा जिला दे देंगे?'
सोमवार को हुई सुनवाई में जस्टिस संजय कुमार मेधी ने कहा कि अदालत इस विशाल भू-भाग के आवंटन से 'परेशान और स्तब्ध' है। हाई कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या इस बड़े प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त की गई थी। सुनवाई के दौरान जस्टिस मेधी और राज्य के महाधिवक्ता देबोजीत सैकिया के बीच इस बात पर तीखी बहस हुई कि संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में महाबल सीमेंट को इतनी बड़ी भूमि क्यों दी गई।
जब मामले से संबंधित भूमि का अधिकार क्षेत्र रखने वाली एनसी हिल्स स्वायत्त परिषद (NCHAC) के वकील ने कुछ दस्तावेज पेश किए, तो कोर्ट ने उन्हें पूरी फाइल प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। जस्टिस मेधी ने कहा, 'हमारा उद्देश्य केवल कुछ कागजात देखना नहीं है, बल्कि उस पूरी फाइल को देखना है जिसमें इतनी बड़ी भूमि का आवंटन एक निजी फर्म को करने का निर्णय लिया गया।'
महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि कंपनी ने 2 लाख रुपये प्रति बीघा की दर से भूमि खरीदी है और राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जिसने अपनी रिपोर्ट भी प्रस्तुत की है। कोर्ट ने सरकार को 3 सितंबर तक अपना हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है और NCHAC को अगली सुनवाई में पूरी फाइल के साथ उपस्थित होने के लिए कहा है।