ग्रेटर नोएडा और नोएडा में मानसून के दौरान जलभराव की समस्या

जलभराव की गंभीर स्थिति
ग्रेटर नोएडा समाचार: बारिश के मौसम में नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जलभराव की समस्या फिर से सामने आई है। ग्रेटर नोएडा के जिला मुख्यालय में भी पानी भर गया है। यह कोई नई बात नहीं है, हर साल बारिश के दौरान यही स्थिति उत्पन्न होती है। देश के हाईटेक शहरों में शामिल नोएडा और ग्रेटर नोएडा की चमक मानसून में फीकी पड़ जाती है। जलभराव के कारण ट्रैफिक भी प्रभावित होता है।
सड़क निर्माण में नालियों की कमी
बिना नाली के सड़क का निर्माण
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण हर साल करोड़ों रुपये खर्च करके ईकोटेक 3, न्यू हालैंड फैक्ट्री के पास, सूरजपुर औद्योगिक क्षेत्र, टॉय सिटी, हबीबपुर और तुस्याना औद्योगिक केंद्र के आसपास सड़कें बनाता है। लेकिन नालियों का निर्माण न होने के कारण हर साल बारिश में पानी भर जाता है। इस बार भी स्थिति वैसी ही है। बारिश के दौरान बिना नाली वाली सड़कें जलमग्न हो जाती हैं, जिससे जलभराव की समस्या उत्पन्न होती है।
सफाई व्यवस्था का बजट
सफाई व्यवस्था पर भारी बजट
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सफाई व्यवस्था के लिए सालाना लगभग 1,654 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। नोएडा में 950 करोड़ और ग्रेटर नोएडा में 704 करोड़ रुपये सफाई पर खर्च किए जाते हैं। इसके अलावा, गांवों के विकास के लिए नोएडा में 150 करोड़ रुपये का अलग बजट भी है। इतना बजट होने के बावजूद, मानसून के दौरान शहर की स्थिति खराब हो जाती है और जगह-जगह गंदगी के ढेर दिखाई देते हैं।
मानसून से पहले की तैयारी
मानसून से पहले खर्च, फिर भी जलभराव
सूत्रों के अनुसार, मानसून से पहले नालियों की सफाई और मरम्मत पर ध्यान दिया गया था। ग्रेटर नोएडा में नालियों की मरम्मत पर 40 करोड़ रुपये और नोएडा में सिंचाई विभाग के नालों पर 3.5 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसके बावजूद, कई स्थानों पर जलभराव की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
जलभराव वाले प्रमुख स्थान
नोएडा में यहां भरता है पानी
नोएडा में डीएनडी लूप, महामाया फ्लाईओवर के नीचे, सेक्टर 34 मेट्रो स्टेशन, सेक्टर 44, दलित प्रेरणा स्थल, ममूरा, हरौला गांव, सेक्टर 19, 21 व 25 (जलवायु विहार), अरुण विहार, सेक्टर 28, 29 और आसपास के करीब 35 स्थान ऐसे हैं जहां हर साल जलभराव की गंभीर समस्या बनी रहती है।