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ग्रेटर नोएडा के बोड़ाकी गांव में टर्मिनल परियोजना पर ग्रामीणों का विरोध

ग्रेटर नोएडा के बोड़ाकी गांव में बन रहे टर्मिनल मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों ने प्रशासन के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे आंदोलन करेंगे। ग्रामीणों की प्रमुख मांगों में विस्थापन के लिए उचित पुनर्वास, सर्वेक्षण के बाद भूमि अधिग्रहण, और उचित मुआवजे की मांग शामिल है। जानें इस मुद्दे पर ग्रामीणों की चिंताएं और उनकी मांगें।
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ग्रेटर नोएडा के बोड़ाकी गांव में टर्मिनल परियोजना पर ग्रामीणों का विरोध

ग्रामीणों ने प्रशासन के सामने उठाई आपत्ति

Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा के बोड़ाकी गांव में बन रहे बोड़ाकी टर्मिनल मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों ने सोमवार को प्रशासन के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें विस्थापन योजना के तहत सेक्टर बनाकर पुनर्वासित किया जाए, और वे किसी भी स्थिति में समझौता नहीं करेंगे।


नियोजित आबादी भूमि की मांग

नियोजित आबादी भूमि की हो व्यवस्था
ग्रामीणों की मांग है कि अधिग्रहित भूमि के बदले उन्हें दूसरी जगह पर सेक्टर बनाकर नियोजित आबादी भूमि दी जाए। इससे वे विस्थापन के बाद सुरक्षित जीवन यापन कर सकेंगे। उनका कहना है कि उन्हें आस-पास ही बसाया जाए, क्योंकि दूर दराज की जमीन मिलने से उनका जीवन प्रभावित होगा।


सर्वेक्षण की मांग

घरोनी सर्वे से पहले अधिग्रहण नहीं
ग्रामीणों ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण से पहले प्रत्येक घर का मौके पर सर्वे कराकर वैध घरोनी तैयार की जाए। बिना सर्वे के अधिग्रहण करना उनके साथ अन्याय होगा। ग्रामीणों की मांग है कि घरोनी सर्वे के बाद ही प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो वे इसका विरोध करेंगे।


टर्मिनल का नामकरण

ग्रेटर नोएडा बोड़ाकी टर्मिनल रखा जाए नाम
ग्रामीणों ने यह भी मांग की है कि प्रस्तावित टर्मिनल का नाम गांव की पहचान को बनाए रखते हुए ग्रेटर नोएडा बोड़ाकी टर्मिनल रखा जाए। इसके अलावा, हर परिवार के एक सदस्य को उसकी योग्यता के अनुसार नौकरी देने की भी मांग की गई है।


उचित मुआवजे की मांग

आज की बाजार दर पर उचित मुआवजा
ग्रामीणों का कहना है कि अधिग्रहित भूमि के लिए उन्हें वर्तमान बाजार दर पर उचित मुआवजा मिलना चाहिए। उनका कहना है कि वे परियोजना का विरोध नहीं कर रहे हैं, लेकिन जबरन भूमि अधिग्रहण, कम मुआवजा और पुनर्वास की योजनाओं में उनकी सहमति आवश्यक है।