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ग्रेटर नोएडा में नया मेगा रेलवे टर्मिनल: यात्रियों के लिए सुविधाएं और योजनाएं

ग्रेटर नोएडा का बोड़ाकी रेलवे स्टेशन अब 'मेगा' टर्मिनल के रूप में विकसित किया जा रहा है, जो उत्तरी यूपी का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन बनेगा। इस स्टेशन से बिहार, पूर्वांचल, झारखंड और पश्चिम बंगाल के लिए ट्रेनें चलेंगी, और यहां वंदे भारत एक्सप्रेस का संचालन भी होगा। 70,000 यात्रियों की दैनिक क्षमता के साथ, यह टर्मिनल यात्रियों के लिए सुविधाएं प्रदान करेगा। इसके निर्माण में 3700 करोड़ रुपये का निवेश होगा, और जुलाई में निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है। जानें इस परियोजना के बारे में और अधिक जानकारी।
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ग्रेटर नोएडा में नया मेगा रेलवे टर्मिनल: यात्रियों के लिए सुविधाएं और योजनाएं

ग्रेटर नोएडा का नया रेलवे टर्मिनल


उत्तर प्रदेश समाचार: ग्रेटर नोएडा का बोड़ाकी रेलवे स्टेशन को “मेगा” टर्मिनल के रूप में विकसित किया जा रहा है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का लक्ष्य इसे उत्तरी यूपी का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन बनाना है। इस स्टेशन से बिहार, पूर्वांचल, झारखंड और पश्चिम बंगाल के लिए ट्रेनें चलेंगी। यहां वंदे भारत एक्सप्रेस का संचालन भी होगा। ग्रेटर नोएडा रेलवे टर्मिनल और नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बीच की दूरी 30 किलोमीटर है, जिसे लगभग एक घंटे में तय किया जा सकेगा। यहां से वंदे भारत एक्सप्रेस सहित 100 ट्रेनों का संचालन किया जाएगा। 


70,000 यात्रियों की दैनिक क्षमता

प्रतिदिन 70,000 यात्रियों का आवागमन

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने घोषणा की है कि यह टर्मिनल 176 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किया जाएगा। इसमें 46 हेक्टेयर में टर्मिनल का निर्माण होगा, जिसमें छह प्लेटफॉर्म और मरम्मत के लिए 63 यार्ड लाइनें शामिल होंगी। स्टेशन का डिज़ाइन बहु-स्तरीय होगा, जिसमें ग्राउंड पर ट्रेनें चलेंगी और ऊपरी मंजिल पर रिटेल, ऑफिस और होटल होंगे। प्राधिकरण के सीईओ ने बताया कि रेलवे अधिकारियों के साथ चर्चा चल रही है। कई योजनाओं पर सहमति बन चुकी है, जबकि कुछ पर बातचीत जारी है। इस टर्मिनल के तैयार होने के बाद प्रतिदिन 70,000 यात्रियों का आवागमन होगा, जिससे आन्नद विहार, दिल्ली और गाजियाबाद रेलवे स्टेशनों पर यात्री भार कम होगा।


3700 करोड़ रुपये का निवेश

3700 करोड़ रुपये का खर्च

MMTH (मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट हब) दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) की एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसमें ISBT और मेट्रो स्टेशन भी शामिल हैं। यह यात्रियों को ग्रेटर नोएडा, नोएडा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के अन्य स्थानों से लाएगा। ग्रेटर नोएडा टर्मिनल इस हब के केंद्र में होगा। इसका कुल क्षेत्रफल 70,000 वर्ग मीटर होगा। पहले इस परियोजना का अनुमानित खर्च 1,850 करोड़ रुपये था, लेकिन अब इसे बनाने में लगभग 3700 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।


गाजियाबाद स्टेशन की स्थिति

गाजियाबाद स्टेशन उत्तर प्रदेश का प्रमुख केंद्र

गाजियाबाद रेलवे स्टेशन में प्रतिदिन 50,000 से अधिक यात्री आते हैं, जबकि इसकी क्षमता लगभग 200 ट्रेनों की है। इस स्टेशन का क्षेत्रफल लगभग 1.5 लाख वर्ग मीटर है। गाजियाबाद स्टेशन पर छह प्लेटफॉर्म हैं, जिनमें से एक लंबी दूरी की ट्रेनों के लिए है। बिहार और पूर्वांचल के लिए भी ट्रेनें यहां से चलती हैं। वर्तमान में, गाजियाबाद स्टेशन उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा रेलवे स्टेशन माना जाता है। जोन-फर्स्ट में 130 हेक्टेयर का क्षेत्र है, जिसमें ISBT, स्थानीय बस टर्मिनल, मेट्रो स्टेशन और औद्योगिक क्षेत्र शामिल हैं। जोन-सेकेंड में 46 हेक्टेयर का क्षेत्र है, जिसमें रेलवे टर्मिनल और उससे संबंधित व्यवसायिक विकास शामिल है। अधिकारियों का कहना है कि MMTH भविष्य का ट्रांजिट गेटवे होगा और यह दिल्ली में ISBT और आनंद विहार रेलवे स्टेशन जैसे मौजूदा केंद्रों पर भीड़भाड़ कम करने में मदद करेगा।


निर्माण कार्य की शुरुआत

निर्माण कार्य जुलाई में शुरू होने की उम्मीद

दिसंबर 2024 में MMTH को एक विशिष्ट रेलवे परियोजना के रूप में घोषित किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि रेलवे अधिनियम के तहत अधिग्रहण जल्दी होगा, जिसमें दो महीने का समय लगेगा। MMTH की कुल 176 हेक्टेयर भूमि में से रेलवे की भूमि का अधिग्रहण अभी बाकी है। शेष भूमि का अधिग्रहण पहले ही हो चुका है। प्रशासनिक और कानूनी प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद निर्माण कार्य शुरू होगा। इसलिए ग्रेटर नोएडा टर्मिनल का काम जुलाई में शुरू होने की उम्मीद है।


भीड़भाड़ की समस्या

भीड़भाड़ की समस्या

वर्तमान में पूर्व की ओर जाने वाली अधिकांश ट्रेनें नई दिल्ली और आनंद विहार टर्मिनल से चलती हैं। नई दिल्ली से हर दिन लगभग तीन सौ ट्रेनें चलती हैं, जिसमें लगभग पांच लाख यात्री आते हैं। छुट्टियों और त्योहारों पर यह संख्या और बढ़ जाती है। आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर भी हर दिन करीब 250 ट्रेनें चलती हैं, जहां लगभग 3 लाख लोग आते हैं। त्योहारों के दौरान यह संख्या चार लाख तक पहुंच जाती है। प्लेटफार्म की कमी के कारण यात्रियों की भीड़ बढ़ रही है। नए प्लेटफार्म बनाने के लिए भी जगह नहीं है। कुछ साल पहले, आनंद विहार टर्मिनल पर पूर्व की ओर जाने वाली कुछ ट्रेनों को स्थानांतरित किया गया था। ग्रेटर नोएडा टर्मिनल के निर्माण से यात्रियों को राहत मिलेगी।