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ग्रेटर नोएडा में मियावाकी पद्धति से पौधरोपण की शुरुआत

ग्रेटर नोएडा के सैनी गांव में मियावाकी पद्धति से पौधरोपण का कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें 15,000 पौधे लगाए गए हैं। इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा देना है। पौधों की वृद्धि अगले तीन वर्षों में स्पष्ट होगी, और यह ग्रीन बेल्ट माउंटेन के आकार में विकसित होगी। जानें इस अनोखी पहल के बारे में और इसके लाभों के बारे में।
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ग्रेटर नोएडा में मियावाकी पद्धति से पौधरोपण की शुरुआत

मियावाकी पद्धति से पौधरोपण

ग्रेटर नोएडा समाचार: ग्रेटर नोएडा के सैनी गांव के पास सेक्टर 10 में बुधवार को मियावाकी पद्धति का उपयोग करते हुए पौधरोपण किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ श्रीलक्ष्मी वीएस और कैच फाउंडेशन तथा कोवेस्ट्रो इंडिया के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अगले तीन वर्षों में इन पौधों की वृद्धि का प्रभाव स्पष्ट होगा। यह ग्रीन बेल्ट लगभग दो एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है और 130 मीटर सड़क के किनारे स्थित है, जो माउंटेन के आकार में विकसित होगी। इसमें लगभग 15,000 पौधे लगाए गए हैं।


तीन स्तरों का पौधरोपण
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के डीजीएम संजय कुमार जैन ने बताया कि इस ग्रीन बेल्ट में मियावाकी पद्धति के तहत तीन स्तरों का पौधरोपण किया गया है: केनोपी लेयर, ट्री लेयर और सब ट्री लेयर। केनोपी लेयर में नीम, शीशम, बरगद, करंज, आम, पारस पीपल, कचनार, और पीपल जैसे पौधे शामिल हैं। ट्री लेयर में महोगनी, कैथल, आमला, बेल, जामुन, इमली, अर्जुन, अमलतास, पिलखन, और गुलमोहर के पौधे लगाए गए हैं। सब ट्री लेयर में जामफल, कड़ी पत्ता, सीताफल, नींबू, करौंदा, बंबू, टिकोमा, और पारिजात के पौधे शामिल हैं।


सुरक्षा और सिंचाई की व्यवस्था
इन पौधों की सुरक्षा के लिए जालीदार बाउंड्री का निर्माण किया गया है। पेड़ों की सिंचाई के लिए ड्रिप सिंचाई पद्धति का उपयोग किया गया है, जिसमें पौधों की कतार के बीच पाइप डाले गए हैं। इन पाइपों में बने छिद्रों से पानी का रिसाव होता है, जो पौधों की जड़ों तक पहुंचता है। इस तकनीक से पानी की खपत में कमी आती है। सहायक निदेशक उद्यान बुद्ध विलास ने बताया कि मियावाकी पद्धति के तहत फलदार पौधे लगाए गए हैं, जो जैव विविधता के लिए लाभकारी हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित करने में प्रभावी हैं।