ग्रेटर नोएडा में हत्या के मामले में दोषी को मिली आजीवन कारावास की सजा

न्यायालय का फैसला
Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा में न्यायाधीश सोमप्रभा मिश्रा ने 14 साल पुराने हत्या के मामले में लोकेंद्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, उसे 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यदि वह जुर्माना नहीं भरता है, तो उसे 6 महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इस मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट और गवाहों की गवाही महत्वपूर्ण साक्ष्य साबित हुई। अदालत ने माना कि हत्या अत्यंत क्रूरता से की गई थी, जिसमें मृतक को 5 गोलियां मारी गई थीं। यह घटना 15 दिसंबर 2011 को जमालपुर गांव में हुई थी।
शहजाद की हत्या की घटना
शहजाद की हुई थी हत्या
15 दिसंबर 2011 की रात, भंवर सिंह श्यामनगर मंडी से अपने गांव राजपुर कलां लौट रहे थे। रास्ते में दनकौर थाना क्षेत्र के जमालपुर गांव के खेतों के पास, आरोपी लोकेंद्र और दो अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ उनकी कहासुनी हो गई। इसी दौरान, भंवर का भतीजा शहजाद बाइक से वहां पहुंचा। झगड़े के दौरान, लोकेंद्र ने शहजाद पर तमंचे से 5 गोलियां चलाईं, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना की रिपोर्ट दनकौर थाना में दर्ज की गई थी। पुलिस ने लोकेंद्र और तिलकचंद को गिरफ्तार कर उनके पास से तमंचा और कारतूस बरामद किए थे.
सुनवाई का लंबा दौर
14 सालों तक चली सुनवाई
इस मामले की सुनवाई लगभग 14 वर्षों तक चली, जिसमें अभियोजन पक्ष ने 13 गवाह पेश किए। प्रमुख गवाह भंवर सिंह ने अदालत में स्पष्ट रूप से बताया कि उसने देखा था कि लोकेंद्र ने शहजाद को गोली मारी थी। पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर संतराम वर्मा ने भी गवाही दी कि मृतक के शरीर पर गोली लगने के निशान थे।
निर्णायक सबूत
गवाही और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट बनी निर्णायक आधार
न्यायाधीश सोमप्रभा मिश्रा ने अपने निर्णय में कहा कि भंवर सिंह का प्रत्यक्षदर्शी बयान विश्वसनीय है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट इस तथ्य की पुष्टि करती है कि मौत गोली लगने से हुई। न्यायालय ने यह भी कहा कि फॉरेंसिक रिपोर्ट में यदि पूरी समानता नहीं भी हो, तब भी प्रत्यक्षदर्शी और चिकित्सीय रिपोर्ट जैसे पुख्ता सबूत अभियोजन को मजबूत करते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल इस आधार पर कि बरामद हथियार और घटनास्थल के साक्ष्य में पूर्ण मेल नहीं है, अभियोजन पक्ष को कमजोर नहीं ठहराया जा सकता। सबूतों के आधार पर लोकेंद्र को दोषी करार दिया गया।
मजबूत पैरवी का असर
मजबूत पैरवी आई काम
पुलिस ने इस मामले में मजबूत पैरवी की। गवाहों का कोर्ट में उपस्थित होना सुनिश्चित करने के साथ ही गवाही भी समय पर पूरी कराई गई। मजबूत पैरवी के चलते ही दोषी को सजा मिल सकी है।