ग्वार फसल में उखेड़ा बीमारी की रोकथाम के लिए 15 रुपये का बीज उपचार

ग्वार फसल पर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
(Bhiwani News) भिवानी। खरीफ सीजन को ध्यान में रखते हुए, बहल के गांव सिरसी में ग्वार फसल के लिए एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में किसानों को सही समय पर बुवाई, बीज उपचार, संतुलित खाद का उपयोग और अनावश्यक खरपतवार नाशक दवाओं के प्रयोग से बचने की जानकारी दी गई। यह कार्यक्रम कृषि विभाग बहल द्वारा ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बीडी यादव के सहयोग से आयोजित किया गया।
जडग़लन रोग की जानकारी
डॉ. मदन सिंह, एटीएम की देखरेख में आयोजित इस गोष्ठी में, डॉ. बीडी यादव ने बताया कि जडग़लन रोग की फंफूद जमीन के अंदर विकसित होती है और पौधों की जड़ों पर हमला करती है। इससे पौधों की जड़ें काली पड़ जाती हैं और पौधों को पोषण मिलना बंद हो जाता है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए 3 ग्राम कार्बंडाजिम 50 प्रतिशत (बेविस्टीन) का सुखा उपचार 15-20 मिनट तक करना आवश्यक है।
15 रुपये में जडग़लन रोग का उपचार
डॉ. यादव ने बताया कि इस उपचार से 80 से 95 प्रतिशत तक इस रोग पर काबू पाया जा सकता है, जो भूमि की किस्म पर निर्भर करता है। उन्होंने किसानों को उन्नत किस्में जैसे एचजी 365, एचजी 563, और एचजी 2-20 बोने की सलाह दी, जो 85 से 110 दिन में पक जाती हैं।
बिजाई के लिए उचित समय
इस क्षेत्र में अधिकांश बारिश हो चुकी है और कई किसान ग्वार की बिजाई कर चुके हैं। जिन गांवों में कम बारिश हुई है, उन्हें प्री-मानसून या मानसून के दौरान बिजाई पूरी करने की सलाह दी गई है। डॉ. यादव ने बताया कि ग्वार की बिजाई के लिए 4-5 किलो बीज प्रति एकड़ पर्याप्त है।
किसानों को दी गई सहायता
डॉ. बीडी यादव ने किसानों को चेतावनी दी कि ट्यूबवेल का खारी और तेलिया (सोडिक) पानी बिजाई के लिए या खड़ी फसल में उपयोग न करें, क्योंकि इससे जमीन की गुणवत्ता प्रभावित होती है और पैदावार में कमी आती है। शिविर में 67 किसानों को बीज उपचार के लिए दो एकड़ की वेबिस्टिन दवाई, एक मास्क और एक जोड़ी दस्ताने मुफ्त में प्रदान किए गए।