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चंडीगढ़ में 70 वर्षीय महिला के साथ 2.5 करोड़ रुपये की साइबर ठगी

चंडीगढ़ में एक 70 वर्षीय महिला को साइबर ठगों ने 2.5 करोड़ रुपये की ठगी का शिकार बनाया। ठगों ने खुद को सरकारी अधिकारी बताकर महिला को डिजिटल गिरफ्तारी का डर दिखाया और फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से मानसिक दबाव बनाया। इस घटना ने साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को उजागर किया है। जानें इस मामले के सभी पहलुओं और साइबर ठगी से बचने के उपायों के बारे में।
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चंडीगढ़ में 70 वर्षीय महिला के साथ 2.5 करोड़ रुपये की साइबर ठगी

चंडीगढ़ में साइबर ठगी का मामला

चंडीगढ़ में 70 वर्षीय महिला से 2.5 करोड़ रुपये की ठगी: चंडीगढ़ में एक नई साइबर ठगी की घटना में, 70 वर्षीय पूर्व मुख्य आर्किटेक्ट को 2.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ठगों ने खुद को ट्राई, सीबीआई और सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी बताकर महिला को डिजिटल गिरफ्तारी का डर दिखाया। फर्जी कोर्ट के आदेश और वीडियो कॉल के माध्यम से मानसिक दबाव बनाकर ठगों ने पैसे ट्रांसफर करवा लिए। यह घटना साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को उजागर करती है। आइए, इस मामले के विभिन्न पहलुओं पर नजर डालते हैं।


साइबर ठगों की नई तकनीक


साइबर अपराधी अब डिजिटल गिरफ्तारी जैसे तरीकों का सहारा ले रहे हैं। चंडीगढ़ की सुमित कौर को 3 मई को एक फोन कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को ट्राई का अधिकारी बताया और कहा कि उनके मोबाइल नंबर का उपयोग अवैध गतिविधियों में हो रहा है। इसके बाद, ठगों ने उन्हें एक कथित सीबीआई अधिकारी से जोड़ा, जिसने मनी लॉन्ड्रिंग में उनका नाम होने का दावा किया।


फर्जी दस्तावेज और मानसिक दबाव


ठगों ने सुमित कौर को डराने के लिए फर्जी गिरफ्तारी वारंट और सुप्रीम कोर्ट के जज की वीडियो कॉल का सहारा लिया। उन्हें बताया गया कि उनके नाम से मुंबई के कैनरा बैंक में एक फर्जी खाता खोला गया है, जिसका उपयोग अपराध में हो रहा है। ठगों ने गोपनीय जांच का हवाला देकर महिला को किसी से बात न करने की सलाह दी। इस डर से महिला ने ठगों के निर्देशों का पालन किया।


2.5 करोड़ रुपये का ट्रांसफर


4 मई को ठगों ने दावा किया कि सुमित कौर डिजिटल गिरफ्तारी में हैं और उन्हें हमेशा मोबाइल ऑन रखना होगा। उनकी बैंक, बीमा, म्यूचुअल फंड और अन्य संपत्तियों की जानकारी मांगी गई। 5 मई को एक फर्जी सुप्रीम कोर्ट के आदेश दिखाकर उनकी सारी संपत्ति को 48 घंटे के लिए एक 'गोपनीय सुपरविजन अकाउंट' में ट्रांसफर करने को कहा गया। दबाव में आकर महिला ने 2.5 करोड़ रुपये कई किश्तों में ट्रांसफर कर दिए।


ठगी का एहसास और पुलिस की कार्रवाई


कुछ दिनों बाद जब ठगों के नंबर बंद हो गए और कोई संपर्क नहीं हुआ, तब सुमित कौर को ठगी का एहसास हुआ। उन्होंने सेक्टर 17 साइबर सेल पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह घटना साइबर अपराधियों की चालाकी और तकनीक के दुरुपयोग को उजागर करती है।


साइबर ठगी से बचने के उपाय


यह मामला साइबर अपराध से बचने की आवश्यकता को दर्शाता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि अज्ञात कॉल्स पर भरोसा न करें और व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें। यदि कोई सरकारी अधिकारी होने का दावा करे, तो उसकी पहचान की पुष्टि करें। साइबर सेल की मदद से ठगी की शिकायत तुरंत दर्ज करें। जागरूकता और सतर्कता ही इस तरह के अपराधों से बचाव का सबसे बड़ा उपाय है।