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चंडीगढ़ में अवैध दुकानों का ध्वस्तीकरण: 25 दुकानदारों की आजीविका पर संकट

चंडीगढ़ के मलोया गांव में प्रशासन ने 25 अवैध दुकानों को ध्वस्त कर दिया, जिससे स्थानीय दुकानदारों की आजीविका पर संकट आ गया है। इस कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल तैनात था और दुकानदारों को पहले ही नोटिस दिए गए थे। हालांकि, दुकानदारों ने प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया है, क्योंकि अन्य क्षेत्रों में भी अवैध निर्माण मौजूद हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशासन को वैकल्पिक व्यवस्था प्रदान करनी चाहिए ताकि छोटे कारोबारियों का भरोसा बना रहे।
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चंडीगढ़ में अवैध दुकानों का ध्वस्तीकरण: 25 दुकानदारों की आजीविका पर संकट

चंडीगढ़ में प्रशासन की कार्रवाई

चंडीगढ़ के मलोया गांव में मंगलवार को प्रशासन ने 25 अवैध दुकानों को ध्वस्त करने के लिए भारी पुलिस बल के साथ कार्रवाई की। इस कदम ने स्थानीय दुकानदारों के लिए रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न कर दिया है। कई वर्षों से छोटे व्यवसायों के माध्यम से अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाले दुकानदार अब चिंतित हैं। प्रशासन पर भेदभाव का आरोप भी लगाया जा रहा है।


मलोया में प्रशासन की सख्त कार्रवाई

चंडीगढ़ प्रशासन ने मलोया गांव में अवैध रूप से स्थापित 25 दुकानों को गिराने के लिए मंगलवार सुबह एक बड़ी कार्रवाई की। इस दौरान जेसीबी मशीनों का उपयोग किया गया और भारी पुलिस बल की मौजूदगी में दुकानों को तोड़ा गया। कार्रवाई से पहले पूरे गांव की बिजली काट दी गई ताकि कोई विरोध न हो सके। तहसीलदार पुण्यदीप शर्मा और मलोया थाना प्रभारी जसबीर सिंह सहित कई अधिकारी मौके पर उपस्थित थे।


दुकानदारों की आजीविका पर संकट

दुकानदारों के चेहरे पर निराशा स्पष्ट थी। एक दुकानदार कर्ण ने बताया कि उन्होंने मलोया में एक छोटी मीट शॉप खोली थी, जिससे वे अपने बच्चों की पढ़ाई और परिवार का खर्च चलाते थे। अब दुकान के ध्वस्त होने से उनकी आजीविका पर संकट आ गया है। कई दुकानदारों ने कहा कि ये छोटी दुकानें उनके परिवारों का एकमात्र सहारा थीं।


नोटिस पहले से जारी थे

प्रशासन का कहना है कि दुकानदारों को पहले ही कई बार नोटिस दिए गए थे। हाल ही में 3 जून की अंतिम तारीख दी गई थी, जिसमें दुकानदारों से अपनी दुकानें हटाने को कहा गया था। लेकिन किसी ने भी समय सीमा का पालन नहीं किया, जिसके बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए बुलडोजर चलाया। कार्रवाई के दौरान दुकानदारों ने जल्दी में अपना सामान निकाला।


भेदभाव का आरोप

दुकानदारों में प्रशासन की कार्रवाई को लेकर भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि प्रशासन ने केवल मलोया की अवैध दुकानों को निशाना बनाया, जबकि शहर के अन्य हिस्सों में भी अवैध निर्माण मौजूद हैं। कई स्थानों पर लोगों ने छतों पर पक्की इमारतें बना ली हैं, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। दुकानदारों ने प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की।


विशेषज्ञों की राय

हालांकि यह कार्रवाई अवैध निर्माण को रोकने के लिए आवश्यक थी, लेकिन दुकानदारों के सामने अब रोजगार का संकट है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रशासन को दुकानदारों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था, जैसे छोटे कारोबारी केंद्र या लाइसेंस की सुविधा, प्रदान करनी चाहिए। साथ ही, अवैध निर्माण को रोकने के लिए पूरे शहर में एक समान नीति लागू होनी चाहिए। इससे निष्पक्षता बनी रहेगी और छोटे कारोबारियों का भरोसा भी कायम रहेगा।