चंडीगढ़ में आंतरिक खोखलेपन पर ध्यान देने की आवश्यकता

आंतरिक खोखलेपन की चेतावनी
मनीषी संत ने कहा कि हम अक्सर उन चीजों को अनदेखा कर देते हैं जिनसे हम सहमत नहीं होते, और खुद को उनसे दूर मानते हैं, जबकि वास्तविकता कुछ और होती है। एक साधु ने मजेदार लेकिन जीवनदृष्टि से भरपूर उत्तर दिया। जब उनसे पूछा गया कि अगर उन पर हमला हो जाए तो वे क्या करेंगे, साधु ने कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है, उनके पास एक सुरक्षित किला है। जब हमला होगा, वे वहां चले जाएंगे। डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।
साधु की बात सुनकर कुछ अन्य साधु जो उनसे असहमत थे, ने उन्हें घेर लिया और पूछा कि उनका किला कहां है। साधु ने उत्तर दिया कि शरीर को नष्ट किया जा सकता है, लेकिन हृदय के रास्ते को जानना ही उनका कवच है। वहां तक कोई नहीं पहुंच सकता। यह कहकर साधु महाराज हंसने लगे, और उनकी हंसी जंगल में गूंजती रही।
हमारे भीतर हिंसा का प्रवेश हर जगह हो रहा है। टीवी हमें गुस्सैल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। नेता युवा खिलाड़ियों को गालियां देते हुए टीवी पर दिखते हैं। हम किस तरह की दुनिया बना रहे हैं? छोटी-छोटी बातों पर हम मरने-मारने पर उतारू हो रहे हैं। हमारे चेतन और अवचेतन मन पर हिंसा के दाग गहरे होते जा रहे हैं। यह हिंसा हमारे भीतर प्रेम, सद्भाव और संवेदना को चट कर रही है।
इसलिए, हमारे आसपास जो कुछ घट रहा है, उस पर सजग दृष्टि रखना बहुत जरूरी है। अक्सर हम जिन चीजों से सहमत नहीं होते, उन्हें अनदेखा करते जाते हैं। हमें इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।