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चंडीगढ़ में एसपीसीए की स्थिति: पशुओं की दुर्दशा और कुप्रबंधन का खुलासा

चंडीगढ़ में एसपीसीए की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई गई है, जहां रजिस्टर्ड चेरिटेबल ट्रस्ट सहजीवी ने पशुओं की दुर्दशा और कुप्रबंधन का खुलासा किया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में निक्की लत्ता गिल ने बताया कि सरकारी पशु चिकित्सा आश्रय में जानवरों की स्थिति बेहद खराब है। उन्होंने बताया कि कुत्तों को छोटे केनेल में ठूंस दिया गया है और उन्हें चिकित्सा देखभाल नहीं मिल रही है। गिल ने तत्काल राहत उपायों की मांग की है और कहा कि एसपीसीए का संचालन अस्थायी रूप से निलंबित किया जाना चाहिए। जानें इस मुद्दे की पूरी जानकारी।
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चंडीगढ़ में एसपीसीए की स्थिति: पशुओं की दुर्दशा और कुप्रबंधन का खुलासा

चंडीगढ़ में पशु कल्याण की स्थिति


चंडीगढ़ समाचार: चंडीगढ़ और उत्तर क्षेत्र में पशु कल्याण के लिए कार्यरत रजिस्टर्ड चेरिटेबल ट्रस्ट सहजीवी ने चंडीगढ़ के सेक्टर 38 पश्चिम में स्थित सोसायटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स (एसपीसीए) में गंभीर कुप्रबंधन और खराब स्थितियों का खुलासा किया है। यह स्थान यूटी का एकमात्र सरकारी पशु चिकित्सा आश्रय है। सहजीवी की कार्यकारी निदेशक निक्की लत्ता गिल ने हाल ही में एसपीसीए से पशुओं को रायपुर कलां एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर (एबीसी) में स्थानांतरित करने की योजना पर चिंता जताई, क्योंकि सरकारी आश्रय में मरम्मत का कार्य अभी तक शुरू नहीं हुआ है। उन्होंने मीडिया को रायपुर कलां में पशुओं की भयानक स्थिति के बारे में भी बताया।
निक्की लत्ता गिल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "पशुओं के लिए जो आश्रय स्थल बनाया गया था, वह अब उपेक्षा और दुर्व्यवहार का केंद्र बन गया है। एसपीसीए अब सोसायटी फॉर प्रमोशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल्स बन गई है।" उन्होंने रायपुर कलां में पशुओं की स्थिति की तस्वीरें और वीडियो भी साझा किए।
गिल ने बताया कि 29 अप्रैल, 2025 को एसपीसीए-38 वेस्ट में पशुओं की स्थिति और भी खराब हो गई, जब उन्हें बिना योजना के रायपुर कलां एबीसी केंद्र में स्थानांतरित किया गया। यह केंद्र मूल रूप से अस्थायी नसबंदी सुविधा के लिए बनाया गया था, जिसमें पशु आश्रय के रूप में कार्य करने की कोई क्षमता नहीं थी।
एबीसी सेंटर की स्थिति के बारे में गिल ने कहा, "यहां कुत्तों को 4x3 फीट के केनेल में ठूंस दिया जाता है, जहां वे चलने में असमर्थ होते हैं और गंदगी और खून से घिरे रहते हैं।"
गिल ने कहा कि लकवाग्रस्त कुत्तों को बिना इलाज के छोड़ दिया गया है। सीसीटीवी की कमी और वालंटियर्स की अनुपस्थिति ने इसे जानवरों के लिए एक यातना गृह बना दिया है। उन्होंने बताया कि एबीसी सेंटर में जानवरों को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया जाता है, जो पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का उल्लंघन है।
गिल ने यह भी बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 96 लाख रुपये के वार्षिक बजटीय अनुदान के बावजूद, शेल्टर ने अपने निवासियों को न्यूनतम चिकित्सा देखभाल या पोषण भी प्रदान नहीं किया है। उन्होंने कहा कि एसपीसीए के कर्मचारी लापरवाह और अपने कर्तव्यों के प्रति उदासीन हैं।
गिल ने कहा कि केवल 0.6 प्रतिशत फंड दवाओं के लिए और 3 प्रतिशत भोजन के लिए आवंटित किया गया, जबकि 96 प्रतिशत वेतन पर खर्च हुआ। उन्होंने कहा, "यह स्थिति 2020 की निरीक्षण रिपोर्ट में भी उल्लेखित थी, लेकिन अब तक कुछ नहीं बदला है।"
मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए गिल ने कहा, "रायपुर कलां में एसपीसीए अब एक यातना गृह बन गया है।" उन्होंने तत्काल राहत उपायों की मांग की, जैसे कि जानवरों के लिए खुली जगह की व्यवस्था करना।
गिल ने कहा कि एसपीसीए के संचालन को अस्थायी रूप से निलंबित किया जाना चाहिए जब तक कि रेनोवेशन पूरा नहीं हो जाता। उन्होंने कहा, "अगर सुविधाओं का सही उपयोग नहीं किया जा रहा है, तो इसका क्या मतलब है?"
गिल ने अंत में कहा कि जानवरों और मनुष्यों को एक साथ शांतिपूर्वक रहना चाहिए, क्योंकि एक के साथ बुरा व्यवहार दूसरे को भी प्रभावित करता है।