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चंडीगढ़ में दारा सिंह के बेटे के साथ 1.74 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला

चंडीगढ़ में दारा सिंह के बेटे अमरीक सिंह रंधावा को 1.74 करोड़ की धोखाधड़ी का सामना करना पड़ा है। रियल एस्टेट कंपनियों ने उन्हें एक फाइव स्टार होटल प्रोजेक्ट में निवेश का लालच देकर ठगा। न तो वादा किया गया रिटर्न मिला और न ही संपत्ति का कब्जा। चंडीगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को FIR दर्ज करने का आदेश दिया गया है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और क्या होगा आगे।
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चंडीगढ़ में धोखाधड़ी का मामला: दारा सिंह के बेटे को 1.74 करोड़ का नुकसान

चंडीगढ़ में एक गंभीर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है, जिसमें प्रसिद्ध अभिनेता दारा सिंह के पुत्र अमरीक सिंह रंधावा को ₹1.74 करोड़ का नुकसान हुआ है। रियल एस्टेट कंपनियों ब्लू कोस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर और जॉय होटल एंड रिसॉर्ट ने एक फाइव स्टार होटल प्रोजेक्ट में निवेश का लालच देकर अमरीक को ठगा।


उन्हें न तो वादा किया गया रिटर्न मिला और न ही संपत्ति का कब्जा। अब चंडीगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को इन कंपनियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दिया गया है। आइए, इस चौंकाने वाली घटना की पूरी जानकारी लेते हैं!


अमरीक सिंह कैसे फंसे?

यह सब 2010 में शुरू हुआ, जब ब्लू कोस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर और जॉय होटल एंड रिसॉर्ट के प्रतिनिधि अमरीक सिंह के सेक्टर-8बी स्थित निवास पर आए। उन्होंने बताया कि इंडस्ट्रियल एरिया, फेज-2 में होटल शेरेटन नाम का फाइव स्टार होटल बन रहा है। निवेश करने पर हर महीने अच्छे रिटर्न का वादा किया गया।


दारा सिंह ने विश्वास करते हुए 21 अगस्त 2010 को शॉप नंबर-20 के लिए ₹94.26 लाख की डील की। 90% राशि पहले ही चुका दी गई, और हर महीने ₹1.31 लाख रिटर्न का लालच दिया गया। शुरुआत में कुछ भुगतान हुए, लेकिन जल्द ही कंपनी ने पैसे देना बंद कर दिया।


दूसरी बार ठगी: अधूरे सर्विस रूम का सपना

कंपनी की मीठी बातों में आकर अमरीक सिंह ने 2014 में फिर से निवेश किया। इस बार उन्होंने होटल प्रोजेक्ट में सर्विस रूम (यूनिट नंबर 227) के लिए ₹80 लाख की डील की। कंपनी ने वादा किया कि 12 महीने में कब्जा मिलेगा और हर महीने ₹93,024 रिटर्न मिलेगा। लेकिन कुछ महीनों बाद रिटर्न बंद हो गया, और आज तक न तो कब्जा मिला और न ही पैसा। यह धोखाधड़ी का मामला अमरीक के धैर्य की परीक्षा बन गया है।


पुलिस की अनदेखी और प्राधिकरण का हस्तक्षेप

अमरीक ने 17 अक्टूबर 2023 को चंडीगढ़ पुलिस को शिकायत दी, जो आर्थिक अपराध शाखा को भेजी गई। लेकिन EOW ने इसे सिविल विवाद बताकर FIR दर्ज करने से मना कर दिया। हार न मानते हुए अमरीक ने पुलिस शिकायत प्राधिकरण में शिकायत की।


प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि यह मामला सिविल नहीं, बल्कि स्पष्ट रूप से रियल एस्टेट धोखाधड़ी है। EOW को तीन महीने में जांच पूरी कर कोर्ट में रिपोर्ट देने का आदेश दिया गया।


इस मामले का भविष्य क्या है?

यह धोखाधड़ी का मामला चंडीगढ़ के रियल एस्टेट क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सबक है। प्राधिकरण ने माना कि कंपनियों ने झूठे वादों से अमरीक को ठगा। प्रोजेक्ट की जमीन 2014 में लीज शुल्क न चुकाने के कारण जब्त हो चुकी थी, और मामला हाई कोर्ट में है। फिर भी, कंपनियों ने निवेशकों को अंधेरे में रखा। यह मामला न केवल अमरीक सिंह के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए चेतावनी है जो रियल एस्टेट में निवेश करने का सोच रहा है। क्या अब इंसाफ मिलेगा?