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चंडीगढ़ में मेयर चुनाव: हाथ उठाकर वोटिंग का प्रस्ताव मंजूर

चंडीगढ़ में आगामी मेयर चुनाव अब गुप्त मतदान के बजाय हाथ उठाकर किए जाएंगे। यह निर्णय जिला प्रशासन द्वारा पंजाब नगर निगम अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव के बाद लिया गया है। इस प्रक्रिया की मंजूरी मुख्य सचिव और प्रशासक से मिलनी बाकी है। पिछले चुनावों में गड़बड़ी की घटनाओं के बाद यह बदलाव किया जा रहा है। जानें इस नए प्रस्ताव का राजनीतिक दलों पर क्या असर पड़ेगा और कैसे यह चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करेगा।
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चंडीगढ़ में मेयर चुनाव: हाथ उठाकर वोटिंग का प्रस्ताव मंजूर

चंडीगढ़ मेयर चुनाव की नई प्रक्रिया

चंडीगढ़ में अगला मेयर चुनाव अब गुप्त मतदान के बजाय हाथ उठाकर किया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन ने पंजाब नगर निगम अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे कानूनी सलाह के लिए एलआर के पास भेजा गया था और अब इसे मंजूरी मिल गई है।


अगली मंजूरी का इंतजार

अब इस प्रस्ताव को मुख्य सचिव और प्रशासक की स्वीकृति की आवश्यकता है, जिसके बाद इसे अधिसूचित किया जाएगा। हालांकि, इससे पहले जनता से भी सुझाव लिए जाएंगे। यह प्रस्ताव प्रशासक गुलाब चंद कटारिया के निर्देशों पर फरवरी 2025 में शुरू किया गया था।


चुनाव प्रक्रिया में बदलाव का प्रभाव

हर साल मेयर चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दल अपने समर्थन को मजबूत करने में जुट जाते हैं। कई बार पार्षद दूसरे दलों में चले जाते हैं, जिससे चंडीगढ़ में दल-बदल की राजनीति बढ़ गई है। इस स्थिति में राजनीतिक दलों को अपने पार्षदों को चुनाव से पहले दूसरे राज्यों में ले जाना पड़ता है।


गड़बड़ी की आशंका कम

2024 के मेयर चुनाव में पार्षदों के वोट में गड़बड़ी की गई थी। उस समय, प्रिसाइडिंग अधिकारी अनिल मसीह पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवार कुलदीप कुमार के 8 वोटों को रद्द करने का आरोप लगा था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जहां कैमरे की रिकॉर्डिंग से यह स्पष्ट हुआ कि मसीह ने बैलट पेपर में छेड़छाड़ की थी। अंततः सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप को विजेता घोषित किया।


बैलट पेपर से वोटिंग का इतिहास

चंडीगढ़ में 1996 से मेयर चुनाव बैलट पेपर के माध्यम से होते आ रहे हैं। 2024 के चुनाव में हुए विवाद ने पूरे देश में काफी चर्चा बटोरी थी।