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चंडीगढ़ मेडिकल टूरिज्म धोखाधड़ी: हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग को किया खारिज

चंडीगढ़ में मेडिकल टूरिज्म धोखाधड़ी के मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई जांच केवल असाधारण परिस्थितियों में ही की जा सकती है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि उन्हें धोखे में रखा गया, लेकिन कोर्ट ने पाया कि मामला सामान्य है। जानें इस फैसले के पीछे की पूरी कहानी।
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चंडीगढ़ मेडिकल टूरिज्म धोखाधड़ी: हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग को किया खारिज

चंडीगढ़ मेडिकल टूरिज्म धोखाधड़ी मामले में हाईकोर्ट का निर्णय

चंडीगढ़ मेडिकल टूरिज्म धोखाधड़ी मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग को अस्वीकार कर दिया है। यह मामला एक केन्याई महिला से संबंधित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि याचिकाकर्ता और उनके पति, जो डेंटिस्ट हैं, ने मेडिकल टूरिज्म पैकेज का झांसा देकर महिला को उचित चिकित्सा नहीं दी और उसे आर्थिक नुकसान पहुंचाया।


जस्टिस मनीषा बतरा ने अपने निर्णय में कहा कि सीबीआई जांच का आदेश केवल असाधारण और विशेष परिस्थितियों में दिया जाना चाहिए, जब जांच की निष्पक्षता या विश्वसनीयता पर सवाल उठे या मामला राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय महत्व का हो।


उन्होंने यह भी कहा कि यदि सामान्य मामलों में सीबीआई को जांच सौंपी जाती है, तो इससे गंभीर मामलों की जांच प्रभावित हो सकती है और एजेंसी की विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है।


चंडीगढ़ की याचिकाकर्ता डॉ. रोजी अरोड़ा ने 21 सितंबर 2020 को अपने और उनके पति डॉ. मोहित धवन के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी।


उनका कहना था कि उन्हें झूठा फंसाया गया है और असली विवाद शिकायतकर्ता और उनके पति के बीच है। शिकायत 2018 में की गई थी, लेकिन एफआईआर 2020 में दर्ज की गई, जबकि शिकायतकर्ता ने उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाया था।


सीबीआई जांच की आवश्यकता नहीं


कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि निष्पक्ष जांच और न्याय के लिए असाधारण परिस्थितियों में ही सीबीआई जांच का आदेश दिया जा सकता है। केवल इस आधार पर कि आरोपी को स्थानीय पुलिस पर भरोसा नहीं है या जांच पक्षपातपूर्ण है, सीबीआई को जांच नहीं सौंपी जा सकती।


कोर्ट ने यह भी कहा कि सीबीआई जांच का आदेश तभी दिया जा सकता है जब यह स्पष्ट हो कि मामला असाधारण है और जांच में गंभीर खामी या पक्षपात है। इस मामले में, कोर्ट ने पाया कि डॉ. रोजी अरोड़ा ही क्लिनिक की मालिक थीं और उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर शिकायतकर्ता को इलाज के लिए प्रेरित किया था।


इसलिए, कोर्ट ने यह निर्णय लिया कि यह कोई असाधारण मामला नहीं है, जहां सीबीआई जांच की आवश्यकता हो।