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चंपावत पंचायत चुनाव में ईमानदारी की मिसाल: काजल बिष्ट ने सही विजेता की पहचान की

चंपावत के तरकुली गांव में पंचायत चुनाव के दौरान काजल बिष्ट ने एक अनोखी मिसाल पेश की। चुनाव में उन्हें गलत तरीके से विजेता घोषित किया गया, जबकि उन्होंने वास्तव में चुनाव हार गई थीं। काजल ने अपनी ईमानदारी का परिचय देते हुए सही विजेता की पहचान की और अधिकारियों से पुनर्मतगणना की मांग की। यह घटना लोकतंत्र में पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करती है और आम जनता के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है।
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चंपावत में पंचायत चुनाव की अनोखी घटना

चंपावत के तरकुली गांव में हाल ही में हुए पंचायत चुनाव ने लोकतंत्र की सच्चाई को उजागर किया है। ग्राम प्रधान पद के चुनाव में काजल बिष्ट को गलत तरीके से विजेता घोषित किया गया, जबकि वास्तव में उन्होंने चुनाव तीन वोटों से हार गई थीं। मतगणना के दौरान काजल को 103 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी सुमित कुमार को 106 वोट प्राप्त हुए थे। इसके बावजूद, काजल को जीत का प्रमाणपत्र दे दिया गया।


जब काजल को इस गलती का पता चला, तो उन्होंने तुरंत अधिकारियों को सही जानकारी दी और सही विजेता को प्रमाणपत्र देने की मांग की। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे चुनाव नहीं जीत पाईं और सुमित कुमार जीत के हकदार हैं। काजल की इस ईमानदारी ने चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता को रेखांकित किया है। उन्होंने अपनी शिकायत उपजिलाधिकारी अनुराग आर्य के समक्ष भी प्रस्तुत की, जिसके बाद पुनर्मतगणना का आदेश दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही पुनर्मतगणना की तिथि घोषित की जाएगी।


यह घटना चुनाव आयोग के लिए एक चेतावनी है और आम जनता के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। ग्रामीण क्षेत्रों में ईमानदारी और सही मूल्यों का सम्मान इस बात का प्रमाण है कि लोकतंत्र में जनता की आवाज कितनी महत्वपूर्ण है। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के परिणामों की घोषणा के दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों ने जीत का दावा किया था, जो चुनाव प्रक्रिया की जटिलताओं और चुनौतियों को उजागर करता है।