चमोली में लैंडस्लाइड से 12 मजदूर घायल, बारिश बनी कारण

चमोली में लैंडस्लाइड की घटना
चमोली में लैंडस्लाइड: उत्तराखंड के जोशीमठ के हेलंग क्षेत्र में निर्माणाधीन 'विष्णुगाड़ पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना' की डायवर्जन साइट पर शुक्रवार रात को एक गंभीर घटना घटी। टीएचडीसी (तेहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन) द्वारा संचालित इस प्रोजेक्ट की डैम साइट पर अचानक एक बड़ा लैंडस्लाइड हुआ, जिससे 12 मजदूर घायल हो गए। इस घटना के बाद क्षेत्र में हड़कंप मच गया।
एक अधिकारी ने जानकारी दी, "निर्माणाधीन विष्णुगाड़ पीपलकोटी हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट की साइट पर डायवर्जन कार्य के दौरान लैंडस्लाइड के कारण पहाड़ का एक हिस्सा अचानक टूटकर गिर गया, जिससे वहां काम कर रहे मजदूरों में अफरा-तफरी मच गई।" इस हादसे में कई मजदूरों ने भागकर अपनी जान बचाई, लेकिन 12 मजदूर चट्टानों के नीचे दबकर घायल हो गए। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है। अधिकारी ने बताया कि उस समय साइट पर लगभग 200 मजदूर काम कर रहे थे।
Chamoli, Uttarakhand: A landslide near Hailang’s THDC barrage caused panic. Some workers were present at the site, and reports indicate that two to three workers have been injured pic.twitter.com/PsAn0RAF8j
— News Media (@news_media) August 2, 2025
बारिश का प्रभाव
चमोली जिले में लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाओं को बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि बारिश के कारण मिट्टी और चट्टानें कमजोर हो गई हैं, जिससे इस तरह के हादसे हो रहे हैं। हेलंग में हुआ यह हादसा भी भारी बारिश का परिणाम माना जा रहा है। स्थानीय प्रशासन और विशेषज्ञों ने पहले ही क्षेत्र में भूस्खलन के खतरे के बारे में चेतावनी दी थी।
राहत कार्य की शुरुआत
हादसे की सूचना मिलते ही टीएचडीसी और एचसीसी के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। जिला प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया। घायल मजदूरों को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रशासन ने क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त करने के निर्देश दिए हैं।
सुरक्षा और पर्यावरण पर चिंताएँ
यह घटना उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में चल रही जलविद्युत परियोजनाओं की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाती है। लगातार बारिश और भूस्खलन के बीच मजदूर जोखिम भरे हालात में काम कर रहे हैं। पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि पहाड़ों में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य पर्यावरणीय संतुलन को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उनका कहना है कि ऐसी परियोजनाओं को लागू करने से पहले भूगर्भीय और पर्यावरणीय अध्ययन को गंभीरता से लेना आवश्यक है।