चीन का अमेरिका को जवाब: ऊर्जा खरीदने का अधिकार है, ट्रंप की धमकियों का नहीं होगा असर

चीन की ऊर्जा खरीद पर स्पष्टता
अंतरराष्ट्रीय समाचार: चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने स्पष्ट किया है कि रूस सहित किसी भी देश से ऊर्जा खरीदना उनका अधिकार है। यह एक वैध और कानूनी व्यापार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि चीन अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा, भले ही अमेरिका कुछ भी कहे। यह बयान दर्शाता है कि चीन ट्रंप के दबाव में झुकने के लिए तैयार नहीं है।
ट्रंप की चेतावनी का चीन ने दिया जवाब
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि यदि चीन रूसी तेल खरीदता रहा, तो उस पर 'सेकेंडरी टैरिफ' लगाए जा सकते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत पर पहले ही ऐसा किया गया है और अब यह कदम चीन पर भी उठाया जा सकता है। इस पर चीन ने बिना किसी हिचकिचाहट के स्पष्ट उत्तर दिया।
भारत के टैरिफ मामले पर चीन का रुख
भारत के टैरिफ केस जैसा रुख: जब चीन से पूछा गया कि ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ क्यों लगाया, तो गुओ ने कहा कि चीन हमेशा टैरिफ के दुरुपयोग का विरोध करता आया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह नीति उनके लिए भी लागू होती है और किसी भी देश के लिए भी। भारत की तरह, चीन ने भी अमेरिकी दबाव को अनुचित बताया।
भारत की सख्त प्रतिक्रिया
भारत ने भी दी थी सख्त प्रतिक्रिया: भारत ने ट्रंप के निर्णय को 'अनुचित, अन्यायपूर्ण और असंगत' बताया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि देश की ऊर्जा आवश्यकताओं और रणनीतिक स्वायत्तता का सम्मान किया जाना चाहिए। भारत ने स्पष्ट किया कि वह अपनी आवश्यकताओं के अनुसार तेल खरीदना जारी रखेगा, चाहे टैरिफ कितना भी हो।
मोदी का किसानों के प्रति बयान
मोदी ने किसानों पर दिया बयान: इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एम.एस. स्वामीनाथन शताब्दी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में कहा कि किसानों, पशुपालकों और मछुआरों का हित सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्हें व्यक्तिगत कीमत भी चुकानी पड़े, तो वे तैयार हैं। मोदी का यह बयान दर्शाता है कि सरकार बाहरी दबाव के बावजूद अपने लोगों के पक्ष में खड़ी है।
ट्रंप की टैरिफ नीति पर सवाल
ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी पर सवाल: अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की यह नीति अमेरिका के लिए उलटी भी पड़ सकती है। यदि भारत और चीन जैसे बड़े बाजार अमेरिकी दबाव से दूर होते हैं, तो अमेरिका को नए व्यापारिक साझेदार खोजना मुश्किल हो जाएगा। इससे वैश्विक तेल बाजार में नए गठजोड़ बन सकते हैं।
अगले कदम पर सबकी नज़र
अगले कदम पर सबकी नज़र: अब पूरी दुनिया की नज़र इस पर है कि ट्रंप चीन पर वास्तव में सेकेंडरी टैरिफ लगाते हैं या नहीं। यदि ऐसा होता है, तो यह अमेरिका-चीन तनाव को और बढ़ा देगा और वैश्विक व्यापार में नई खींचतान शुरू हो सकती है।