चीन का नया रेल प्रोजेक्ट: भारत की सीमाओं के निकट बढ़ती गतिविधियाँ

चीन की व्यापारिक रणनीतियाँ और भारत
भारत के साथ व्यापार को मजबूत करने के लिए चीन की कोशिशें लगातार जारी हैं। यह प्रयास अमेरिका को जवाब देने और रूस, भारत, चीन के गठबंधन को एक बड़े अलायंस के रूप में स्थापित करने की दिशा में है। लेकिन, इस बीच, चीन की गतिविधियाँ भारत को यह सोचने पर मजबूर कर रही हैं कि क्या वह वास्तव में दोस्ती चाहता है या दुश्मनी। वर्तमान में, चीन के साथ व्यापारिक वार्ताएँ चल रही हैं, जो ऐसे समय में हो रही हैं जब अमेरिका द्वारा टैरिफ की घोषणाएँ हो रही हैं और रूस पर दबाव बढ़ रहा है। इसके अलावा, चीन की विस्तारवादी नीतियों के तहत चलने वाली परियोजनाएँ भी अस्थिरता का कारण बन सकती हैं।
चीन का नया रेल नेटवर्क प्रोजेक्ट
हाल ही में खबर आई है कि चीन एक नए प्रोजेक्ट के तहत भारत-चीन सीमा पर हलचल मचाने वाला है। चीन ने शिनजियांग और तिब्बत के बीच एक रेल नेटवर्क बनाने की योजना बनाई है, जो भारतीय सीमा के निकट होगा। हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, इस प्रोजेक्ट पर काम इस वर्ष शुरू होने की संभावना है। इसके लिए चीन ने 'शिनजियांग-तिब्बत रेलवे कंपनी' (एक्सटीआरसी) का गठन किया है, जिसमें लगभग 1.10 लाख करोड़ रुपए की प्रारंभिक पूंजी दी गई है। यह रेल प्रोजेक्ट चीन के सबसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में से एक है, जिसका लक्ष्य 2035 तक ल्हासा को केंद्र बनाकर 5,000 किमी लंबा रेल नेटवर्क तैयार करना है।
तिब्बत में रेलवे का विस्तार
2006 में तिब्बत तक रेलवे के उद्घाटन के बाद से, दो और रेल लाइनें बनाई गई हैं; 2014 में ल्हासा-शिगात्से और 2021 में ल्हासा-न्यिंगची। भारत की सीमाओं के निकट रेलवे निर्माण की गतिविधियाँ बढ़ गई हैं, क्योंकि ल्हासा-न्यिंगची रेलमार्ग अरुणाचल प्रदेश की सीमा की ओर जाता है। इसके अलावा, इसे चेंगदू तक विस्तारित करने की योजना भी है, जो पश्चिमी चीन का एक प्रमुख सैन्य केंद्र है। बीजिंग की योजनाओं में नेपाल-तिब्बत सीमा पर स्थित ग्यारोंग और भारत-भूटान-चीन त्रि-संधि पर चुम्बी घाटी में रेलमार्ग को आगे बढ़ाना भी शामिल है।
भारत के लिए चिंता का विषय
बीजिंग अब तिब्बत में और भी गहराई तक रेल की पटरियाँ बिछाने की योजना बना रहा है। यह केवल भारत की सीमा के निकट चीनी बाँधों की बात नहीं है, बल्कि रेल की पटरियाँ भी हैं। चीन का यह नया रेल संपर्क भारत की उत्तरी सीमा तक पहुँचने वाला है, जो भारत के लिए चिंता का विषय बन सकता है। यह परियोजना, जो 2008 में मूल रूप से नियोजित की गई थी, के कुछ हिस्से भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास से गुजरेंगे।