चीन का भारत और फ्रांस के राफेल विमानों के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान
चीन पर गंभीर आरोप
नई दिल्ली: अमेरिकी कांग्रेस के सलाहकार आयोग 'यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्यूरिटी रिव्यू कमीशन' ने हाल ही में चीन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
दुष्प्रचार अभियान का खुलासा
रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद, चीन ने भारत और फ्रांस के राफेल विमानों के खिलाफ एक संगठित दुष्प्रचार अभियान चलाया। आयोग ने कहा कि चीन ने अपने जे-35 विमानों को बढ़ावा देने के लिए फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स का सहारा लिया और विमानों के कथित मलबे की तस्वीरें साझा कीं।
सोशल मीडिया का दुरुपयोग
आयोग ने स्पष्ट किया कि चीन ने अपने दुष्प्रचार को फैलाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फर्जी अकाउंट्स का निर्माण किया। इन अकाउंट्स ने यह दावा किया कि भारत और अन्य देशों के विमानों को चीन के हथियारों द्वारा नष्ट कर दिया गया है। एआई तकनीक की सहायता से बनाई गई तस्वीरों ने यह भ्रम पैदा किया कि चीन के हथियार अत्याधुनिक हैं।
भारत-पाकिस्तान संघर्ष का लाभ उठाना
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि चीन ने मई में भारत-पाकिस्तान संघर्ष का 'अवसरवादी' तरीके से उपयोग किया। इस दौरान, उसने अपनी उन्नत हथियार तकनीक का प्रचार कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने विमानों की ताकत को प्रदर्शित करने का प्रयास किया। आयोग ने इसे चीन की ग्रे-जोन गतिविधियों का हिस्सा बताया।
भारत-चीन संबंधों का विश्लेषण
आयोग ने भारत-चीन संबंधों की स्थिति का विश्लेषण करते हुए कहा कि सीमा मुद्दों के समाधान में दोनों देशों के दृष्टिकोण में असमानता है। चीन आंशिक समाधान और प्रचारित वार्ता का लाभ उठाता है, जबकि भारत स्थायी समाधान की तलाश में है। आयोग ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में भारत ने सीमा पर चीन से उत्पन्न खतरों को गंभीरता से पहचानना शुरू कर दिया है।
आर्थिक सहयोग और भविष्य की संभावनाएं
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग और सीमा समाधान समझौते मुख्यतः वैचारिक हैं। यह देखना बाकी है कि 2025 की प्रतिबद्धताएं अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता के चलते हैं या द्विपक्षीय संबंधों के सामान्यीकरण का संकेत देती हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि दलाई लामा दोनों देशों के बीच विवाद का विषय बने रह सकते हैं।
